
इस बार 14 फरवरी को मनाई जाएगी बसंत पंचमी
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)। सनातन धर्म व संस्कृति का प्रमुख पर्व बसंत पंचमी मां सरस्वती के अवतरण दिवस के अवसर पर मनाया जाता है। माँ सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत व कला की देवी कहा जाता है उनका जन्म इसी दिन हुआ था।उक्त बातें बताते हुए जयराम ब्रम्ह पीठ के आचार्य अजय शुक्ल ने कहा कि भक्त ज्ञान प्राप्त करने के लिए आज के शुभ दिवस पर उनकी पूजा व अर्चना करते हैं।इस दिन को सरस्वती पूजा भी कहा जाता है।इस वर्ष पंचाग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दिन में दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर होकर 14 फरवरी को दिन में दोपहर 12 बजकर 9 मिनट पर समाप्त हो रही है।उदया तिथि को देखते हुए 14 फरवरी को ही यह त्योहार मनाना श्रेयस्कर है।माँ की आराधना के लिए सर्वप्रथम नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद सरस्वती पूजन का संकल्प लेकर मां की मूर्ति की स्थापना काठ के चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर करें।मां के मूर्ति को पीला वस्त्र पहनाकर पीले फूल से श्रृंगार कर सफेद चंदन, अक्षत,और पीले रंग की रोली चढ़ाए।देवी सरस्वती को पीले रंग के गेंदे के फूल का हार पहनाकर पवित्र मन से आराधना करें।इससे मनुष्य का हर कष्ट दूर होता है।ज्ञान की प्राप्ति होने से सदमार्ग पर चलने का सौभाग्य प्राप्त होता है।यह त्योहार पूरे देश में अलग अलग रूपों में मनाया जाता है।प्रकृति पूजा के रूप में भी कई जगहों पर इसको मनाया जाता है।
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