July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

अमीर और अमीर गरीब और गरीब होता गया

क्या देश के ग़रीबों में राष्ट्रभक्ति
नहीं या उन्हें तिरंगे से प्यार नहीं है,
बिलकुल है, गरीब का भी देश पर
वही हक़ है जितना अमीरों का है।

देश पर शासन करने वाली लाल
राजशाही हक़ नहीं देना चाहती है,
या चाहकर भी स्वार्थवश उन्हें यह
अधिकार दिलवा नहीं पा रही है।

हमारे देश में अमीरों, ग़रीबों के बीच
का फ़र्क़ दिन प्रति दिन बढ़ रहा है,
क्योंकि गरीब पैसे से ही नहीं बल्कि
बहुत से मूल अधिकारों से वंचित है।

पिछले कई साल में भारत देश में
अरब पति 102 से 142 हो गये हैं,
और ग़रीबी की रेखा से नीचे रहने
वाले साढ़े चार करोड़ बढ़ गए हैं।

अमीर और अमीर होता गया,
गरीब और गरीब होता गया,
दोनो को पूरी मदद करने वाला भी
ऐसी चालें बढ़चढ़ के चलता गया।

एक उदाहरण यहाँ पर प्रस्तुत है,
एक रेल लाइन के ऊपर पुल बनाने
की निविदा अख़बारों में निकाला,
श्रवण ने तीन करोड़ फार्म में भरा।

पर सात्विक जी ने नौ करोड़ का
टेंडर जमा किया जब अधिकारी ने
फ़ोन कर पूछा तो सात्विक बोला,
सारे डिटेल्ज़ आपको भेज रहा हूँ।

सात्विक ने कहा की तीन करोड़
आपके होंगे और तीन करोड़ मेरे,
उस से पूछा गया, पुल कैसे बनेगा,
वो बोला पुल श्रवण ही बनायेगा।

आदित्य सात्विक जैसे बड़े नाम ही
भारत में ख़ूब फलते व फूलते हैं,
नौ करोड़ में छः करोड़ लूट, 102
से 142 करोड़ में शामिल होते हैं।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ ‎