November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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प्राण प्रतिष्ठा का त्यौहार हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया

भागलपुर देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) सरयू नदी के पावन तट पर बसा क्षेत्र भागलपुर अपने आप में एक बहुत ही पावन भूमि और अलौकिक छटा वाला भूमि है, यह तपस्वियों की भूमि रही है। पूरे क्षेत्र मे प्राण प्रतिष्ठा का त्यौहार मईल ,मगरा, नरसिहडाढ़, कुंडली, देवसिया बलिया, तकिया, धरहरा , नेमा, रेवली बभनौली मौना गढ़वा, तेलिया कला, तेलिया शुक्ला इत्यादि के साथ, भागलपुर में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
रामलीला कमेटी ने दीप उत्सव तथा भगवान की प्रतिमा के सामने पूजा अर्चना कर दी प्रचलित किया।
1950 से अनवरत चलता आ रहा है भागलपुर में रामलीला
1987 से अहमद अली निभाते हैं भरथ की भूमिका, उन्हें भागलपुर का भरथ भी कहा जाता है।
कोई धर्म हमें आपसी बैर नहीं सिखाता अहमद अली।
बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत भागलपुर चौराहे, हनुमान चौराहे तक चारों तरफ दीप जलाकर रंग-बिरंगे प्रकाश से लोगों ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में अपने घरों, मठ , मंदिर को सुशोभित किया।
लोगों ने अपने घरों से बाहर टीवी स्क्रीन निकाल कर अयोध्या से लाइव प्रसारण देखा और लोगों को दिखाया। जगह-जगह मिठाइयां बाटी और भंडारे कराए । लोगों में काफी अतिरिक्त उत्साह, उमंग, हर्षोल्लास देखने को मिला। पूरे दिन राम का भक्ति भजन घरों से लेकर मंदिरों तक बजता रहा। लोग कीर्तन, मानस पाठ करते दिखे। रामलीला कमेटी के संचालक ओम प्रकाश पांडेय ने बताया कि यह दिन काफी गौरव का दिन है। हमारे पूर्वज तो देख नहीं पाए इस पावन अवसर को लेकिन उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा राम की मर्यादा पर चलते हुए देश के विकास में लग रहे। इस रामलीला कमेटी के अनेकों कलाकार हरिश्चंद्र जो हनुमान बनते थे, डॉक्टर गणेश जो लक्ष्मण का पाठ करते थे, उदय प्रताप सिंह जो राम बनते थे, विशंभर जायसवाल जो सीता का रोल करते थे, गजेंद्र मौर्य रामायण के अनेक किरदार निभाने, राजेंद्र प्रसाद मौर्य जो जनक की भूमिका ऋषि मुनियों की भूमिका निभाते हैं। इत्यादि लोग मिठाइयां तथा दीप प्रज्वलित कर भगवान की प्राण प्रतिष्ठा का खुशी से झूम उठे। साथ ही लोगों ने कहा की अनेक माननीय का आना-जाना भागलपुर में लगा रहता है लेकिन किसी ने भी मठ मंदिर सड़क नाली नाला इत्यादि पर ध्यान नहीं दिया नहीं, तो यह गांव अपने आसपास के 50 गांव का केंद्र बिंदु है। धीरे-धीरे यहां के मंदिर भी विलुप्त होते जा रहे हैं। सड़के जर्जर होने के कारण मार्केट भी यहां का खराब होता जा रहा है।