November 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गांधी जयंती समारोह

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
संत विनोबा महाविद्यालय देवरिया मे आज गांधी जयंती के अवसर पर प्राचार्य प्रो०अर्जुन मिश्र द्वारा झंडारोहण के बाद नशीले पदार्थों के सेवन से परहेज की शपथ दिलाई गई।राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम के अन्तर्गत प्राचार्य, अध्यापकों कर्मचारियो और छात्र-छात्राओं द्वारा महाविद्यालय परिसर मे साफ-सफाई की गई। महाविद्यालय के सभागार मे महात्मा गांधी की वर्तमान में प्रासंगिकता विषय पर गोष्ठी का आयोजन हुआ।कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता के रूप मे प्राचार्य प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने कहा कि गांधी पर बोलना और लिखना आसान नही है।शांति, प्रेम,सत्य तथा अहिंसा के पुजारी राष्ट्र पिता महात्मा गांधी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे।उनके चिंतन और कार्यकेंद्र में मानव कल्याण था।उनके व्यक्तित्व निर्माण मे परिवार तथा संस्कारों की अहम भूमिका थी।गांधी चिंतन में भारतीय संस्कृति के ऐसे गहन तत्व छिपे हैं जिससे भारत का वास्तविक स्वरूप उद्घाटित होता है।गांधी के विचारों के मूल मे सत्य और अहिंसा है।सत्य शब्द सत से बना है जिसका अर्थ है होना या अस्तित्व।ईश्वर की सत्ता तीनों लोक में बनी रहती है अतः वह सत्य है।अहिंसा हिंसा का उल्टा मात्र नहीं है।अहिंसा बलवानों का अस्त्र है कायरों का नहीं।गांधी ने कहा था यदि कायरता और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो तो मैं हिंसा को चुनुंगा।सत्याग्रह का अर्थ है सत्य पर डटे रहना।गांधी के आर्थिक विचार देश की प्रकृति के अनुकूल थे।वे गांवो के विकास के माध्यम से देश का विकास चाहते थे।रोटी के लिए श्रम सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकता के लिए श्रम आवश्यक है।गांधीजी ऐसे बड़े उद्योगों के खिलाफ थे जो लघु उद्योगों मे लगे लोगों को बेकार कर दे।गांधी न केवल मानव द्वारा मानव के शोषण के खिलाफ थे बल्कि मानव द्वारा प्रकृति के शोषण के खिलाफ थे।आज विश्व के समक्ष जितनी समस्याएं खड़ी उसका समाधान गांधी मे है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डा सत्य प्रकाश मणि त्रिपाठी ने की।कार्यक्रम मे वाचस्पति द्विवेदी, नाजिश बानो, मंशा,अशोक सिंह, शैलेन्द्र राव, भूपेश मणि, विवेक मिश्र, तूलिका पाण्डेय,सुधांशु शूक्ला, उमेश दूबे,मन्तोष मौर्य सहीत महाविद्यालय के कर्मचारी और छात्र -छात्राएं उपस्थित रहें।