
पकड़ी वन रेंज के कटहरा व जगपुर वन चौकी का हाल
वीट के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही
महराजगंज ( राष्ट्र की परम्परा)। सोहगी बरवां वन्य जीव प्रभाग के सौंदर्य से महराजगंज को प्रदेश में उत्तम श्रेणी में लाने के लिए जहां पूर्व जिला अधिकारी सत्येंद्र कुमार झा ने जंगल सफारी नामक योजना की शुरुआत किया था। वनों के सौंदर्य को जंगल सफारी के माध्यम से पर्यटन का रूप दिया जाए तथा जंगल में बसे वन ग्रामों को उनके जीवन एवं मूल धरोहर को विकसित करने के लिए जनपद में स्थित वन सेंचुरी क्षेत्र मे विकास की गंगा बहा रहे हैं। वहीं जंगल माफिया सेंचुरी जंगल की लकड़ी काटकर उनके अस्तित्व को मिटाने में लग गए हैं। एक ऐसा मामला पकड़ी रेन्ज के जगपुर ,कटहरा बीट मे देखने को मिल रहा है जहां रोजाना एक से दो पेड़ दिनदहाड़े काटकर वन माफिया लकड़ी को चैला का रूप देकर जिला मुख्यालय पर चाय की दुकान व अन्य प्रतिष्ठानों पर सप्लाई करते नजर आ रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पकड़ी वन रेन्ज के कटहरा वन चौकी व जगपुर वन चौकी में वन माफिया दिनदहाड़े सेंचुरी जंगल की लकड़ियां काटकर उनके अस्तित्व को मिटाने में लग गए हैं लेकिन जंगल के जिम्मेदारों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। वन सेंचुरी क्षेत्र आज वन माफियाओं के हाथों शिकार होने पर मजबूर हो रहे हैं। यह वही क्षेत्र है जो पिछले कुछ सप्ताह पहले चर्चा का विषय बना हुआ था लेकिन आज लकड़ियों की कटान देखकर मौन धारण किए क्षेत्र के जिम्मेदार वन बीट चौकी पर चैन की नींद ले रहे हैं वहीं वन माफियाओं का प्रकोप जंगल की लकड़ियों पर तेजी से फैल रहा है। यही कारण है कि कटहरा और जगपुर बीट के अंतर्गत पिछले कुछ महीनों पहले पिकअप से लदी लकड़ियां निकलने की चर्चा क्षेत्रों मे जोरशोर से चल रही थी कि इस बीट के चौकी प्रभारी व जिम्मेदार की मौन धारण व गैर जिम्मेदाराना रवैया से लोगों में चर्चा का विषय बन गया है जिसको देखकर लोगों में चर्चा जोरों पर चल रहा है कि जब जंगल की लकड़ियां इसी तरह कटती रही तो वन सफारी योजना का क्या महत्व रह जाएगा तथा जिला अधिकारी का सपना कैसे पूरा हो पाएगा। घने जंगल व वन ग्राम के सौंदर्य को प्रदर्शित करने के लिए तथा वनों में स्थित धरोहरों को पर्यटक के रूप में लोगों के बीच प्रस्तुत करने का व महराजगंज जिले को प्रदेश में उत्तम स्थान दिलाने का जो सपना देखा जा रहा है वह वन माफियाओं के कारण धूमिल नजर आ रहा है।जिसका का प्रमुख कारण कटहरा और जग पुर बीट की जंगलों में रोजाना एक से दो पेड़ों का कटना तथा इसके संबंधित अधिकारियों का मौन धारण करना जंगल सफारी के लिए घातक नजर आ रहा है।
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