Tuesday, September 16, 2025
Homeउत्तर प्रदेशख़ुशियाँ, त्याग : सत्य व धैर्य

ख़ुशियाँ, त्याग : सत्य व धैर्य

ख़ुशी पाने के लिए दुःख से गुजरना
पड़ता है, यही अनुभव भी कहता है,
यह अक्सर देखा है कि ख़ुशी पाने के
लिये बहुत से कष्ट सहना पड़ता है।

कहते हैं ख़ुशी पाने के लिए बहुत धन
और दौलत इकट्ठा करना पड़ता है,
ख़ुशी पाने के लिये हक़ीक़त यह है,
कि बहुत कुछ त्यागना भी पड़ता है।

ख़ुशी पाने की इच्छा पूरी नहीं होती
है तो ग़ुस्सा आता है तनाव बढ़ता है,
जब यह इच्छा पूरी होती है तो लोभ
बढ़ने लगता है, मोह पनपने लगता है।

शायद ख़ुशी पाने की इच्छा और
कोशिश लोभ व मोह के मूल में हैं,
इनसे बचना है हर परिस्थिति में हमें
धैर्य, त्याग सोच की जड़ में रखना है।

जीवन मुक्केबाज़ी के मुक़ाबले की
तरह धैर्य के साथ से जिया जाता है,
जिसमें हार तभी मानी जाती है जब
हारने वाला गिर कर उठ नहीं पाता है।

इसीलिए ख़ुशियाँ पानी हैं तो धैर्य व
सादगी जीवन में अपनाना चाहिए,
भौतिकता का दिखावा कर चाल
चरित्र में कृत्रिमता नहीं दिखाइये ।

धैर्य के मूल में सत्य का तीखा तड़का
होता है व स्वाद कम अच्छा लगता है
आदित्य सत्य की चाहत सबकी है,
पर धैर्य के बिना यह तीखा लगता है।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments