
मैने सबसे समझौते किए होते हैं, इस
लिये हर कोई मुझसे ख़ुश रहता है,
मैं सबसे ख़ुश रहता हूँ क्योंकि मैं
सबकी ग़लतियाँ प्रायः भुला देता हूँ।
जहाँ सूर्य किरणें हो, प्रकाश होता है,
जहाँ ईश दर्शन हो, भव पार होता है,
जहाँ संतो की वाणी, उद्धार होता है,
जहाँ प्रेम की भाषा, परिवार होता है।
चालाकियों से किसी को कुछ देर
तक ही मोहित किया जा सकता है
पर जहाँ दिल जीतने की बात आती है,
वहाँ सरल और सहज होना जरुरी है।
प्रेम में इतने आकर्षण होते हैं कि
बड़ी से बड़ी ताक़त को झुका लेते हैं,
सखा प्रेम के वशीभूत श्रीकृष्ण दरिद्र
सुदामा के प्रेम में बेहाल पैर धोते हैं।
मुझे मालूम नहीं कि पाप और
पुण्य के बीच क्या अंतर होता है,
पर यह अवश्य मालूम है कि किसी
का दिल दुखे तो वो पाप होता है ।
जिससे किसी के चेहरे पर हँसी
की रंगत आये वो पुण्य होता है,
आदित्य प्रेम के बोल ख़ुशी देते हैं,
दूसरे को ख़ुशी देकर पुण्य लेते हैं।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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