March 15, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

ईश्वर की चाहत, भूखे को भोजन

अपनेपन के एहसासों का इस
जीवन में बड़ा महत्व होता है,
दूसरों के दुःख में साथ दे जो वही
इंसान एक सच्चा इंसान होता है।

अज्ञान के अँधेरे मे रोशनी दिखाये
जो वह सच्चा दिग्दर्शक होता है,
संकट व समस्या में जो साथ होता है
वह इंसान ही नही भगवान होता है।

ईश्वर की भक्ति पूजा कर उससे ही
सुख शांति की कामना करना होता है
लेकिन स्वयं कर्म करने से ईश्वर
स्वयं आपको सब कुछ दे देता है।

मंदिर में पूजा पाठ आरती होती
और घंटा शंख बजाये जाते हैं,
मंदिर के द्वारों पर तो देखो बच्चे
भूख प्यास में रोते रोते सोते हैं ।

इनकी भूख मिटाने से और मदद
से परमात्मा स्वयं ख़ुश होता है,
जब इनको प्रसाद मिल जाता है,
प्रभू कृपा का प्रसाद चढ़ जाता है।

किसी पर भरोसा करना उसे प्यार
करने से बड़ी शुभ कामना होती है,
ईश्वर पर आस्था, उसकी पूजा,
आरती व उसकी भक्ति से ऊपर है।

कहते हैं जिस से प्रेम किया जाता है
उस पर ज़रूरी नही विश्वास सदा हो
लेकिन जिस पर विश्वास अटल हो
उस से तो प्रेम सदा सदा ही होता है।

इसीलिए हमें ईश्वर पर सदा आस्था
रखनी है यह उसकी पूजा भक्ति है,
आदित्य ईश्वर की चाहत भूखे को
भोजन, गरीब की सेवा में शक्ति है।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ