March 15, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

आत्मा की सोच – सोच का अहम्

शास्त्र कहते हैं कि जब शरीर मर
जाता है पर आत्मा जीवित रहती है,
वास्तविकता आज की है कि शरीर
तो जीवित है पर आत्मा मर चुकी है।

शक्ति प्रदर्शन तब ज़रूरी होता है
जब इरादे बुरा करने के होते हैं,
अन्यथा प्रेम, दया व क्षमा के भाव
ही सब कुछ पाने में सक्षम होते हैं।

यह सोचना कि उसे किसी की भी
ज़रूरत नहीं, तो उसका अहम् है,
और यदि यह सोचे कि हर किसी को
उसकी ज़रूरत है, यह उसका भ्रम है।

हवा, पानी, निद्रा, शान्ति और
जल हमें बिना पैसे दिये मिलते
रहते हैं, पर हमारे जीवन में यही
सबसे अधिक क़ीमती होते हैं ।

इंसान की स्वाभाविक प्रकृति है
जब तक उसका चाहा नहीं मिले
तब तक बिलकुल सब्र नहीं करता
और मिल जाए तो कद्र नहीं करता।

अभिमान के अभिमान की ताकत
महान को भी शैतान बना देती है,
नम्रता व सरलता साधारण व्यक्ति
को भी अत्यंत महान बना देती है।

सहज व सरल व्यवहार व्यक्ति
को महानता की ओर ले जाता है,
आदित्य दिखावा कर छल, कपट
करने वाला अधम कहा जाता है।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य