
बलिया( राष्ट्र की परम्परा) सुखपुरा निवासी हिंदी और भोजपुरी जगत के वरिष्ठ साहित्यकार महावीर प्रसाद गुप्त नहीं रहें। उन्होंने रविवार की सुबह 86 वर्ष की आयु में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। इसकी जानकारी होते ही साहित्य जगत के साथ ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। लोगों ने हिंदी के जाने-माने साहित्यकार की गतात्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
महावीर प्रसाद गुप्त न सिर्फ साहित्यकार, बल्कि कुशल शिक्षक भी थे। गीत, गजल, निबंध में महारत हासिल महावीर प्रसाद गुप्त भोजपुरी में कजरी गायन एवं रचनाओं में विशेष रूची रखते थे। संस्कृत महाविद्यालय सुखपुरा से शिक्षण कार्य की शुरूआत करने वाले महावीर प्रसाद गुप्त की नियुक्ति इंटर कॉलेज सुखपुरा में प्रवक्ता पद पर हो गई, जहां से सेवानिवृत्ति के बाद भी वे साहित्यिक रचना में तन्मयता से लगे रहे। रविवार को गंगा नदी के पावन तट पर इस सरस्वती पुत्र का अंतिम संस्कार किया गया, जहां ज्येष्ठ पुत्र गणेश प्रसाद गुप्त ने मुखाग्नि दी।
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