
हे नेता जी यह बतला दो,
मैं मतदाता हूँ तो पूँछ रहा,
भूखे को रोटी मिल जाये,
बहुत पुण्य का काम है यह।
पर इसी क्षेत्र में आज हज़ारों,
वोटर क्यों भूखे सो जाते हैं ?
रोटी, कपड़ा और घर देना
भी आपकी ज़िम्मेदारी है।
हे प्रदेश के नेता जी, जब
एक ग़रीब बीमार होता है,
डाक्टर, अस्पताल की सुविधा,
क्या उसका अधिकार नहीं?
पढ़ने को स्कूल व शिक्षक
पाना उसका अधिकार नहीं?
बेरोज़गार को नौकरी मिले,
क्या उसका अधिकार नहीं?
महिलायें, बच्चे और वृद्ध सब
रहें कुशल से और सुरक्षित,
कहिये भारत के नेताओं क्या
ये उनके अधिकार नहीं ?
खेतों में मेहनत कर किसान
उपजाता गेहूँ चावल, सब्ज़ी दालें,
इनका उचित दाम मिलना
क्या उनका अधिकार नहीं ?
बिजली, पानी,सड़क की सुविधा
सब को अच्छे से मिल जाये,
स्वच्छ हवा में घूम सकें सारे
प्राणी ऐसा कुछ करिए नेता जी,
यात्रा रेल और बस की हो,
कुछ सुगम सुरक्षित व सस्ती,
पैसा जन धन खाते में आये,
ऐसा कुछ करिए नेता जी ।
राजनीति से धर्म अलग कर,
राज धर्म को सब अपनायें,
जाति-धर्म का भेद भूलकर,
रचनात्मकता कुछ कर पायें,
पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण
भारत के चारों कोनो में,
आदित्य व्यथित है मतदाता,
उसका हित करिये नेता जी ।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ
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