
बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) । कृषि विज्ञान केन्द्र प्रथम पर केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. के. एम. सिंह के दिशा निर्देशन में किसानो की उपस्थिति में ड्रोन का परीक्षण किया गया। जिसमे डॉ के एम सिंह ने बताया कि कृषि में ड्रोन, किसान को विभिन्न संसाधनों – बीज, पानी, उर्वरक, कीटनाशक का अधिक उपयोग करने में सक्षम बनाता हैं।
खेत के सभी क्षेत्रों को एक जैसा उपचार देने की बजाय आवश्यकतानुसार उपचार देने से उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग लिया जा सकता है। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ नीरज सिंह ने बताया कि ड्रोन, ट्रैक्टर या अन्य साधनों की तुलना में अधिक शुद्धता के साथ खेतों की जांच कर सकता है। यह फसलों में सही मात्रा में कीटनाशक और उर्वरकों का तेजी से छिड़काव भी कर सकता है। जिससे जमीन की शुद्धता भी बनी रहती है और रसायनों के अधिक प्रयोग पर भी रोक लगती है।
ड्रोन मुश्किल से 8-10 मिनट में लगभग 1 एकड़ भूमि पर कीटनाशकों , उर्वरकों का छिडकाव कर सकता है। यदि सामान्य रूप से छिड़काव किया जाए तो इसके लिए दो-तीन मजदूरों की आवश्यकता होती है। जिसका खर्च 700-800 रूपए प्रति एकड़ आ जाता है, जबकि ड्रोन से छिड़काव में एक एकड़ पर अधिकतम 500 रुपये प्रति एकड़ खर्च आयेगा।
राजीव कुमार ने बताया कि किसानों को ड्रोन का इस्तेमाल करते समय अनेक बातों का ध्यान रखना होता है। जैसे हाईटेंशन लाइन अथवा मोबाइल टावर वाले स्थानों पर अनुमति लेनी आवश्यक है। ग्रीन जोन के क्षेत्र में ड्रोन द्वारा दवाई का छिड़काव नहीं कर सकते। खराब मौसम या तेज हवा में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है। आवासीय क्षेत्र के पास खेती होने पर अनुमति लेना आवश्यक है। इस मौके पर केंद्र के समस्त वैज्ञानिक डॉ पी. के. सिंह, डॉ नन्दन सिंह, डा. अरुण कुमार राजभर, सुनील कुमार और केन्द्र के समय कर्मचारी उपस्थित रहे। किसानो में प्रमुख रूप से जियाउल हक, पार्वती देवी, सपना,गीता, राम सेवक वर्मा, गोमती,उपदेश कुमार आदि लोग मौजूद रहे ।
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