
जाति-जनगणना के बिना यह रिपोर्ट मात्र राजनितिक शिगुफा-डॉ अनूप पटेल
लखनऊ(राष्ट्र की परम्परा)
जस्टिस रोहिणी आयोग द्वारा राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट सौंपने पर महासभा ने ऐतराज जताया है। जातिगत-जनगणना हुये बिना रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट को एक राजनितिक शिगुफा बताया है।
महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अनूप पटेल ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण के लिये आयोग की सिफारिश करता है, लेकिन ओबीसी आरक्षण के लाखो बैकलॉग के पद भरने के लिए कोई कमेटी गठित करने की सिफारिश क्यों नहीं करता।
यूनिवर्सिटी मे ओबीसी वर्ग के मात्र 4.5% पद ही क्यों भरे गये है, शेष 22 प्रतिशत पद क्यों नहीं भरे गये है. जो कुलपति और विभागध्यक्ष इसके लिये दोषी है, उन पर कार्यवाही क्यों नहीं होती है?
डॉ पटेल ने आगे कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10% आरक्षण दिया गया है, उसे प्रशासन पूरी तरह से लागू कर रहा जबकि ओबीसी आरक्षण के साथ खिलवाड़ हो रहा है, सरकारी नौकरियों के भर्ती विज्ञापन मे ईडब्लूएस कोटे की सीटें ओबीसी वर्ग की सीटों की संख्या से ज्यादा कैसे हो जा रही है?
ईडब्लूएस आरक्षण को उसके कोटे से बढ़कर दिया जा रहा है वही यूनिवर्सिटी मे मात्र 5 % ओबीसी वर्ग के प्रोफ़ेसर का होना जाहिर कर रहा है कि संस्थान ओबीसी आरक्षण के साथ खिलवाड़ कर रहे है। अगर पद नहीं भरे गये है तो किसका दोष है-सरकारी विभागों की मानसिकता का या तथाकथित कुछ जातियों का?
डॉ पटेल ने ईडब्लूएस आरक्षण के वर्गीकरण की मांग का समर्थन किया है लेकिन आंकड़ों के लिये जाति-जनगणना का होना जरूरी बताया, जाति-जनगणना हो जिससे पता चले कि किस जाति को सबसे ज्यादा फायदा मिला।
अभी हाल मे ही यूपी सरकार के डीजीपी रिटायर्ड सुलखान सिँह ने ईडब्लूएस आरक्षण मे एक जाति के हावी होने की पीड़ा जाहिर की थी।
डॉ पटेल ने कहा कि महासभा रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करेंगी, साथ ही जाति-जनगणना कराने को लेकर व्यापक जनसम्पर्क करेंगी।
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