बरहज /देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दूसरी बार प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार गुणवत्ता में मानकों की अनदेखी पर कड़ा रुख अपनाने का दावा करती है साथ ही भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की घोषणा करते थकती नहीं है, किन्तु देवरिया मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित नगर पालिका गौरा बरहज मे सड़क निर्माण कार्यों मे मानकों कि खुलेआम अनदेखी की गयी है कुछ ही दिन पूर्व हुए 2.66 करोड़ की लागत से बनी गौरा बरहज सड़क की जर्जर हालात को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गौरा सड़क को बनाने में गुणवत्ता के मानकों का किस प्रकार से अनदेखी की गई हैं की सड़क की दशा देखते बनती हैं और यह इसी से साबित हो रहा है कि बनने के 1 वर्ष के भीतर ही इस सड़क को पुनः वनवाने की जरूरत आन पड़ी है ।विदित हो कि नगर पालिका परिषद गौरा बरहज की दो प्रमुख सड़कों में सुमार अटल तिराहे से गौरा बरगद के पेड़ तक की 2 किलोमीटर लंबी सड़क कई ठेकेदारों के लिए वाटर लू साबित हो चुकी है ।पिछले 25 वर्ष में यह सड़क 4 बार बन चुकी है ।डेढ़ वर्ष पूर्व कोरोना के लॉक डाउन के दौरान 2.66 करोड़ की लागत से यह सड़क बनाई गई थी लेकिन बनने के साथ ही यह सड़क जगह-जगह टूटने लगी। चर्चा तो यह भी है कि अभी पूरी सड़क बनी भी नहीं और पैसे का बंदरबांट किया जाने लगा। गौरा में राधेश्याम तिवारी के घर से बरगद के पेड़ तक 4 माह पूर्व बनी सड़क जगह-जगह टूटने लगी है ।यहां तक कि इसके किनारे वाली नाली पर बिना पूरा स्लैब लगाए ही आनन-फानन में भुगतान भी ले लिया गया है ।विशंभर तिवारी के घर से बाला गोड़ के घर तक 4 माह पूर्व बनी सड़क इस तरह क्षतिग्रस्त हो गई है की तेज बारिश हो जाने पर भारी मात्रा में गिट्टी एकत्र हो जा रही है। जयनगर में पूर्व सांसद मोहन सिंह के आवास की तरफ जाने वाले मोड़ से पीपल पेड़ तक यह सड़क बनी ही नहीं है ।जिसके चलते उसमें तीन से 4 इंच पानी हल्की बरसात में भी लग जा रहा है। निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की अनदेखी की शिकायत पूर्व सभासद सचिन सिंह ने विधानसभा चुनाव के समय जिले के प्रभारी मंत्री श्री राम चौहान से किया था जिसका नतीजा यह हुआ है कि अटल तिराहे से तिवारीपुर तक यह सड़क फिर से बनाई गई है ,लेकिन लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर 2.66 करोड रुपए के सरकारी धन का बंदरबांट इस तरह क्यों किया गया ।किसी भी जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी की नजर इस गुणवत्ता विहीन निर्मित सड़क पर क्यों नहीं पड़ी यह आमजनमानस के समझ में नहीं आ रहा है।
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