July 5, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

मेरी रचना, मेरी कविता

दीपक अपना परिचय स्वयं नहीं देता है :
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मानव जीवन उँगली के निशान की
तरह होता है जो किसी भी दूसरे के
निशान से कभी नहीं मिल पाता है,
सबका अलग अलग स्वरूप होता है।

वही अद्भुत निशानी होगी जिसमें
प्रेम, स्नेह व सादगी के रूप होंगे,
समय का हर क्षण सदुपयोग होगा,
सारे स्वप्न सजीव व सार्थक होंगे।

सफल इंसान कभी अपनी सफलता
की कहीं भी कोई ढोल नहीं पीटता है,
उसका व्यक्तित्व उसकी सफलता,
व विकास को प्रायः सामने लाता है।

जिस प्रकार दीपक अपनी रोशनी का
परिचय स्वयं किसी को नहीं देता है,
पर उसका प्रकाश चारों ओर उजाला
फैलाकर दीपक का परिचय देता है।

गुरुजनों की छत्रछाया और छोटों
द्वारा मान सम्मान हमारी सनातन
संस्कृति व परम्परा के संस्कार हैं,
ये सुरक्षा कवच, कोई भार नहीं हैं।

समझदार इंसान जीवन के हर क्षण
को प्रेम से आनंद के साथ जीते हैं,
क्योंकि जीवन के बीते हुये ये पल
फिर कभी भी वापस नहीं मिलते हैं।

आदित्य स्पष्ट, सीधी बात कहता हूँ,
भले ही मेरे शब्द कटु व स्वर तेज हों,
यही मेरा स्वभाव है और आदत भी कि
अपने हृदय में नहीं कुछ रख पाता हूँ।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’,
लखनऊ