
मऊ(राष्ट्र की परम्परा)
रतनपुरा विकासखंड मुख्यालय से लगभग 5 किलोमीटर दक्षिण दिशा में प्रवाहित होने वाली तमसा नदी में विगत कई वर्षों से हो रही कटान, तटवर्ती ग्रामीणों के लिए भयंकर मुसीबत का सबब बन गई है। इस संबंध में समाचार पत्रों एवं अन्य अनेक माध्यमों से शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट किया गया, परंतु किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगा। दिन ब दिन यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है परंतु संबंधित शासन प्रशासन अपनी कुंभकर्णी निद्रा में है। तमसा नदी जो कभी 2 जनपदों के मध्य विभाजन रेखा का कार्य करती थी आज नदी कई किलोमीटर उत्तर दिशा में प्रवाहित हो रही है, गाजीपुर जनपद के कासिमाबाद विकासखंड के पाली ग्राम पंचायत के पास प्रवाहित होने वाली तमसा नदी आज लगभग 3 किलोमीटर उत्तर आ गई है। पाली ग्राम पंचायत के पास आज भी नदी के प्रवाहित होने के निशान मौजूद हैं नदी दिन पर दिन उत्तर तरफ बढ़ती जा रही है, लोगों का कहना है कि वर्तमान में जहां तमसा नदी प्रवाहित हो रही है वहां कभी ठैंचा ग्राम पंचायत के जमींदार नागेश्वर लाल की रिहायशी मकान हुआ करती थी और मकान के पास एक कुआं भी था। नदी में मकान कुएं के निशान आज भी मौजूद हैं। कटान के चलते सैकड़ों एकड़ कृषि योग्य भूमि नदी की धारा में विलीन हो चुकी है नदी के किनारे पीपरसाथ ग्राम पंचायत के लोगों का एक घना बागीचा था परंतु आज 3 हिस्सा बागीचा नदी की धारा में है, और कटान का कार्य दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। अंग्रेजी शासन काल में ठैंचा ग्राम पंचायत में एक नील गोदाम का निर्माण हुआ था जहां नील तैयार की जाती थी परंतु कालांतर में नील गोदाम बंद हो गया और नील गोदाम की मजबूत लाहौरि ईंट से बनी दीवारों ने कटान रोकने में काफी कार्य किया, परंतु धीरे-धीरे नील गोदाम की दिवारे भी जर्जर होकर नदी की धारा में विलीन हो रही है। इस भयंकर कटान को रोकने के लिए प्रभावित लोगों ने अनेक बार आवाज उठाई परंतु मामला वही ढाक के तीन पात बन के रह गया। कहीं भी कोई सुनवाई नहीं जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश शासन द्वारा बार-बार यह घोषणा की जा रही है कि बरसात के पूर्व बाढ़ से संबंधित कार्य निपटा लिए जाएं, परंतु तमसा नदी का तटवर्ती इलाका आज भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। इन मजबूरों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं है और कटान का यही क्रम जारी रहा तो आने वाले समय में स्थिति और भी विस्फोटक हो सकती है। इस संबंध में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि कृष्णा राजभर , पीपरसाथ ग्राम प्रधान यशोदा देवी , ठैंचा ग्राम प्रधान सुभाष राजभर, कोनिंहा ग्राम प्रधान अशोक राजभर , लसरा की प्रधान गिरिजा देवी , पिंडोहरी ग्राम प्रधान कुसुम लता , सिधवल ग्राम प्रधान सतीश यादव, बीबीपुर ग्राम प्रधान सुरेश राजभर, आदि ने नदी के कटान और उसे हो रही बर्बादी की तरफ संबंधित शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए, इस समस्या के समाधान हेतु अबिलम्ब प्रभावी कदम उठाए जाने की मांग की है ।
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