गर्मी की शुरुवाती दौर में ही ग्रामीण अंचलों में मार्का इंडिया नल खराब
उतरौला/बलरामपुर (राष्ट्र की परम्परा)
गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। लोगों को प्यास की तलब होने लगी है। लेकिन ग्रामीण अंचलों सहित उतरौला नगर के अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हैंडपंप लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं।
जलनिगम व नगरपालिका की लापरवाही के चलते नगर में अनेक इंडिया मार्का हैंडपंप खराब पड़े हैं, इस कारण लोगों को पेयजल की दिक्कत हो रही है। आम जनता को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ता है। नगर में यूं तो दो दर्जन से अधिक इंडिया मार्का हैंडपंप हैं। इनमें कई तो गायब हो गए हैं और कई हल्की सी कमियों के कारण खराब पड़े हैं। लोगों की लगातार शिकायतों के बावजूद ठीक करने का कोई प्रयास नहीं किया जाता। जल निगम के कर्मचारी कागजों में ही खानापूर्ति कर नलों को ठीक करके चले जाते हैं। राहगीरों एवं यात्रियों को विभागीय लापरवाही के कारण नगर के बस स्टैंड पर नल न होने के चलते पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ता है। पीडब्ल्यूडी कार्यालय के पास टैक्सी स्टैंड का नल जो काफी समय से खराब चल रहा है। टैक्सी चालकों व यात्रियों ने हैंड पंप को रिबोर कराने की मांग कर रहे हैं। एसबीआई, प्रथमा, सहकारी व सहारा इंडिया बैंक के सामने सड़क पर लगा इंडिया मार्का हैंड पंप जंग खाकर टूट चुका है। बैंक आने वाले ग्राहकों को पेयजल के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार चांद मस्जिद के बाहर लगा हैंड पंप पीला पानी उगल रहा है। मुहल्ला आर्य नगर व गांधीनगर स्थित काशीराम कॉलोनी में लगा इंडिया मार्का हैंडपंप से भी पीला पानी निकल रहा है। जिससे कॉलोनी वासियों को पेयजल के लिए डब्बा बंद पानी खरीदना पड़ रहा है। दरगाह शाहजहानी, बाबा मोटे शाह, चुन्नू बाबा, बैरिया शाह व करबला पर लगा अधिकांश हैंडपंप या तो खराब है या गंदा पानी दे रहा है। उतरौला डुमरियागंज मुख्य मार्ग स्थित ग्राम हरनीडीह के पास लगा हैंडपंप जमींदोज हो चुका है। जो नल ठीक हैं वह कम गहराई होने के कारण या तो पानी कम दे रहा है या फिर दूषित पानी दे रहे हैं। विभागीय कर्मी या ठेकेदार एक बार नल लगने पर कभी पलटकर नहीं देखते, जबकि अधिकतर नल लगने के कुछ समय बाद ही खराब हो जाते हैं। नगर वासियों का कहना है कि इंडिया मार्का हैंडपंप खराब होने की शिकायत कई बार विभाग को की है, लेकिन ध्यान नहीं दिया जाता है। वार्डों में कई खराब हैंडपंप हैं। जल निगम के अधिकारी या कर्मचारी कभी इन्हें ठीक करने का प्रयास ही नहीं करते। लोगों को पेयजल के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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