नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। राजधानी दिल्ली की खराब होती हवा और लगातार बढ़ते ट्रैफिक जाम के खिलाफ केंद्र सरकार ने एक निर्णायक कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो रेल परियोजना के चरण-5A को मंजूरी देकर यह संकेत दे दिया है कि अब प्रदूषण से लड़ाई केवल बयानों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि ठोस बुनियादी ढांचे के जरिए लड़ी जाएगी। करीब 12,015 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह परियोजना 16 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें 13 नए स्टेशन प्रस्तावित हैं। इनमें 10 भूमिगत और 3 एलिवेटेड स्टेशन शामिल होंगे।
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इस विस्तार के साथ ही दिल्ली मेट्रो नेटवर्क 400 किलोमीटर से अधिक का हो जाएगा, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। आज दिल्ली मेट्रो पर रोज़ाना औसतन 65 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। ऐसे में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार सड़कों से निजी वाहनों का बोझ कम करने और हवा की गुणवत्ता सुधारने में अहम भूमिका निभाएगा।
तीन नए गलियारे, ट्रैफिक पर सीधा असर
फेज़-5A के तहत तीन नए रणनीतिक कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे।
पहला गलियारा रामकृष्ण आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ तक प्रस्तावित है, जिससे कर्तव्य भवन जैसे प्रमुख प्रशासनिक क्षेत्रों को सीधी मेट्रो कनेक्टिविटी मिलेगी।
दूसरा गलियारा एरोसिटी से एयरपोर्ट टर्मिनल-1 को जोड़ेगा, जिससे दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-1 और टर्मिनल-3 के बीच मेट्रो से निर्बाध आवागमन संभव होगा।
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तीसरा और सबसे अहम गलियारा तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज तक बनेगा, जो नोएडा और गुरुग्राम के बीच एक वैकल्पिक और तेज़ रूट उपलब्ध कराएगा।
इन तीनों गलियारों का संयुक्त प्रभाव यह होगा कि दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव घटेगा, ईंधन की खपत कम होगी और वायु प्रदूषण के बड़े स्रोतों में से एक—निजी वाहन—पर सीधा प्रहार होगा।
दीर्घकालिक समाधान की दिशा में कदम
हर सर्दी में दिल्ली के गैस चेंबर में तब्दील होने की तस्वीरें किसी से छिपी नहीं हैं। स्कूल बंद होते हैं, स्वास्थ्य संकट गहराता है और आम लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे में मेट्रो विस्तार को केवल एक परिवहन परियोजना नहीं, बल्कि दीर्घकालिक पर्यावरणीय समाधान के रूप में देखा जा रहा है। मेट्रो का मतलब है कम कारें, कम धुआं और बेहतर जीवन गुणवत्ता।
मेट्रो पर बढ़ता भरोसा
भारत का मेट्रो नेटवर्क आज दुनिया में तीसरे स्थान पर है। वर्ष 2014 में जहां केवल 5 शहरों में मेट्रो थी, आज यह संख्या 26 शहरों तक पहुंच चुकी है। दैनिक यात्रियों की संख्या भी 28 लाख से बढ़कर 1.15 करोड़ से अधिक हो गई है। यह आंकड़े बताते हैं कि आम नागरिक सार्वजनिक परिवहन पर भरोसा कर रहा है।
यदि यह परियोजना तय समय पर पूरी होती है और इसके साथ बस सेवाओं, पैदल मार्गों और अंतिम छोर कनेक्टिविटी को भी मज़बूत किया गया, तो यह फैसला दिल्ली के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। यह वही मोड़ होगा, जहां राजधानी ने प्रदूषण के आगे झुकने से इंकार किया और मेट्रो को साफ सांसों का ज़रिया बनाया।
