18 दिसंबर : इतिहास की उस शाम, जब दीपक बुझ गए पर प्रकाश अमर हो गया
इतिहास केवल तिथियों का संग्रह नहीं, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों की स्मृतियों का जीवंत दस्तावेज़ है, जिन्होंने अपने कर्म, विचार और योगदान से समाज को दिशा दी। 18 दिसंबर की तारीख भारतीय और वैश्विक इतिहास में इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दिन राजनीति, साहित्य, कला, न्याय और खेल जगत की कई महान विभूतियों ने संसार को अलविदा कहा। उनका देहांत भले ही हुआ हो, पर उनकी विरासत आज भी जीवित है। आइए जानते हैं 18 दिसंबर को हुए महत्वपूर्ण निधन और उन व्यक्तित्वों के जीवन, जन्म-स्थल तथा राष्ट्रहित में योगदान के बारे में विस्तार से।
अदम गोंडवी (निधन : 18 दिसंबर 2011)
अदम गोंडवी आधुनिक हिंदी कविता के सबसे मुखर और जनपक्षधर कवियों में गिने जाते हैं। उनका जन्म गोंडा जिला, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था। वे सत्ता, व्यवस्था और सामाजिक अन्याय के खिलाफ बेबाक आवाज़ के लिए जाने जाते थे। अदम गोंडवी ने अपनी कविताओं में आम आदमी की पीड़ा, भ्रष्टाचार, गरीबी और राजनीतिक पाखंड को अत्यंत सशक्त शब्दों में उकेरा।
उनकी रचनाएँ केवल साहित्य नहीं थीं, बल्कि सामाजिक चेतना की मशाल थीं। “सौ में सत्तर आदमी फिलहाल जब नाशाद हैं” जैसी पंक्तियाँ आज भी जनमानस में गूंजती हैं। उन्होंने कविता को मंच और आंदोलन दोनों बनाया। उनका योगदान हिंदी साहित्य को जनसंघर्ष से जोड़ने में अमूल्य रहा।
सदानंद बकरे (निधन : 18 दिसंबर 2007)
सदानंद बकरे भारत के प्रसिद्ध शिल्पकार, चित्रकार और मूर्तिकार थे। उनका जन्म महाराष्ट्र राज्य, भारत में हुआ। उन्होंने भारतीय कला को आधुनिक दृष्टिकोण देते हुए अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
बकरे ने पारंपरिक और आधुनिक कला शैलियों का अद्भुत समन्वय किया। उनकी मूर्तियाँ मानवीय संवेदनाओं, सामाजिक यथार्थ और सौंदर्यबोध को दर्शाती थीं। उन्होंने भारत के बाहर भी भारतीय कला का परचम लहराया और नई पीढ़ी के कलाकारों को वैश्विक सोच के लिए प्रेरित किया। भारतीय कला-जगत में उनका योगदान प्रेरणास्रोत के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगा।
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विजय हज़ारे (निधन : 18 दिसंबर 2004)
विजय हज़ारे भारतीय क्रिकेट इतिहास के महानतम खिलाड़ियों में से एक थे। उनका जन्म सांगली जिला, महाराष्ट्र, भारत में हुआ। वे स्वतंत्र भारत के पहले टेस्ट कप्तान रहे और उन्होंने भारतीय क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूती दी।
विजय हज़ारे तकनीकी रूप से दक्ष, अनुशासित और संघर्षशील बल्लेबाज थे। रणजी ट्रॉफी में उनका नाम आज भी स्वर्णाक्षरों में दर्ज है, और उनके सम्मान में घरेलू क्रिकेट की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता “विजय हज़ारे ट्रॉफी” आयोजित की जाती है। खेल के प्रति उनका समर्पण और नेतृत्व क्षमता भारतीय युवाओं के लिए आदर्श है।
न्यायमूर्ति अमल कुमार सरकार (निधन : 18 दिसंबर 2001)
अमल कुमार सरकार भारत के आठवें मुख्य न्यायाधीश थे। उनका जन्म पश्चिम बंगाल, भारत में हुआ। उन्होंने भारतीय न्यायपालिका में निष्पक्षता, संवैधानिक मूल्यों और न्यायिक गरिमा को सुदृढ़ किया।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल विधि के शासन को मजबूत करने वाला रहा। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में ऐसे निर्णय दिए जो आज भी भारतीय कानून की नींव माने जाते हैं। उनका जीवन न्याय, ईमानदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पित रहा।
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मुकुट बिहारी लाल भार्गव (निधन : 18 दिसंबर 1980)
मुकुट बिहारी लाल भार्गव एक वरिष्ठ भारतीय राजनीतिज्ञ और लोकसभा सदस्य थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। वे स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रनिर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नेताओं में शामिल थे।
उन्होंने संसद में जनहित के मुद्दों को मजबूती से उठाया और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ किया। समाज सेवा, राजनीतिक शुचिता और राष्ट्र के प्रति निष्ठा उनके जीवन की पहचान रही।
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एलेक्सी कोज़ीगिन (निधन : 18 दिसंबर 1980)
एलेक्सी कोज़ीगिन सोवियत संघ के प्रधानमंत्री थे। उनका जन्म सेंट पीटर्सबर्ग, रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) में हुआ।
उन्होंने शीत युद्ध के दौर में सोवियत संघ की आर्थिक और प्रशासनिक नीतियों को मजबूती दी। भारत-सोवियत संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में भी उनकी भूमिका रही। वैश्विक राजनीति में उनका योगदान अंतरराष्ट्रीय संतुलन और कूटनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
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पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी (निधन : 18 दिसंबर 1971)
पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध निबंधकार और विचारक थे। उनका जन्म मध्य प्रदेश, भारत में हुआ।
उन्होंने साहित्य को बौद्धिक गहराई और दार्शनिक दृष्टि प्रदान की। उनके निबंध विचारोत्तेजक, तार्किक और भाषा की दृष्टि से समृद्ध थे। हिंदी गद्य साहित्य को समृद्ध बनाने में उनका योगदान ऐतिहासिक है।
