Thursday, December 4, 2025
HomeNewsbeat“तेज़ रफ्तार का कहर, धीमी होती ज़िंदगी – भारत में बढ़ती सड़क...

“तेज़ रफ्तार का कहर, धीमी होती ज़िंदगी – भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं का खामोश सच”

देश की सड़कें पहले से कहीं अधिक तेज़ हो चुकी हैं, लेकिन इसी रफ्तार ने हजारों जिंदगियों को हर साल थाम लिया है। सड़क दुर्घटनाएँ अब केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकट बनती जा रही हैं। लापरवाही, जल्दबाज़ी और यातायात नियमों की अनदेखी रोज़ाना मौत को खुला निमंत्रण दे रही है।

आज हाईवे से लेकर शहर की गलियों तक, हर जगह रफ्तार ही प्राथमिकता बन गई है। हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट की अनदेखी, मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाना, शराब पीकर ड्राइव करना और ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन – ये सब आम हो चुका है। यही छोटी-छोटी लापरवाही गंभीर हादसों को जन्म देती है। कई बार एक पल की चूक, पूरे परिवार की खुशियाँ छीन लेती है।

सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े डराने वाले हैं। हर दिन सैकड़ों लोग सड़क पर अपनी जान गंवा रहे हैं, जिनमें बड़ी संख्या युवाओं की है। इसका सबसे बड़ा कारण है तेज़ गति और गलत ओवरटेकिंग। सोशल मीडिया पर रील बनाने की होड़ भी अब दुर्घटनाओं की एक नई वजह बनती जा रही है। लोग चलती गाड़ी में वीडियो बनाते हैं, स्टंट करते हैं और खुद के साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डालते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, सड़क सुरक्षा केवल सरकार या ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। सड़क पर चलते समय यह याद रखना चाहिए कि आपकी एक छोटी सी गलती किसी और की जिंदगी तबाह कर सकती है। ज़रूरी है कि लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें, गति सीमा का ध्यान रखें और दूसरों की सुरक्षा का सम्मान करें।

अगर आज ही चेतना नहीं आई, तो आने वाला कल और भी खतरनाक हो सकता है। हमें यह समझना होगा कि मंज़िल तक पहुँचना जरूरी है, लेकिन सुरक्षित पहुँचना उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है।

सड़क सुरक्षा एक नियम नहीं, बल्कि जीवन का नियम है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments