Thursday, November 27, 2025
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वेतन घोटाला से लेकर अवैध वसूली तक, डीपीआरओ पर गंभीर आरोपों की बौछार

पंचायती विभाग में खलबली! डीपीआरओ के खिलाफ कार्रवाई की तलवार

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)l जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) मनोज कुमार यादव के खिलाफ कई गंभीर आरोप सामने आने के बाद पंचायती राज विभाग में जोरदार हलचल मची हुई है। प्रयागराज के सामाजिक कार्यकर्ता पी.एल. आहूजा ने उत्तर प्रदेश शासन को भेजी अपनी विस्तृत शिकायत में भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग से जुड़े कई बिंदु उठाए हैं, जिसके बाद अफसरशाही में चिंता गहराती जा रही है।
बस्ती मंडल के उप निदेशक (पंचायत) समरजीत यादव ने डीपीआरओ से 48 घंटे के भीतर सभी आरोपों पर साक्ष्य सहित उत्तर देने को कहा है। इससे पहले शासन द्वारा 3 अक्टूबर 2025 को भेजे गए नोटिस का कोई जवाब न देने पर उप निदेशक ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की और स्पष्ट किया कि निर्धारित समय में जवाब न मिलने पर रिपोर्ट सीधे शासन व निदेशालय को भेजी जाएगी।
शिकायत में वेतन संबंधी अनियमितताएँ सबसे प्रमुख हैं। आरोप है कि डीपीआरओ गलत पे-लेवल के आधार पर उच्च वेतन ले रहे हैं और अपनी मूल सेवापुस्तिका स्वयं रखने के कारण एसीपी प्रस्ताव जानबूझकर लंबित कर दिया गया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुँच रहा है।
इसके अलावा संविदा पर कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों के मानदेय को 2-3 माह तक रोकने, नौकरी से निकालने की धमकी देने और अपरोक्ष रूप से आर्थिक लाभ लेने का भी आरोप लगाया गया है। शिकायत में यह भी दर्ज है कि सरकारी वाहन का निजी उपयोग, लखनऊ तक ले जाना, अपनी बिरादरी के सफाईकर्मी से गाड़ी चलवाना और लॉगबुक में डीजल हेराफेरी जैसी गतिविधियाँ लंबे समय से चल रही हैं।
अन्य आरोपों में यह भी शामिल है कि डीपीआरओ ने सुल्तानपुर में अपर डीपीआरओ का कार्यभार ग्रहण नहीं किया और संत कबीर नगर में ही टिके रहे। इसके साथ ही 2018 और 2022 में नियुक्त ग्राम पंचायत अधिकारियों को प्रभारी सहायक विकास अधिकारी पंचायत बनाकर वित्तीय अधिकार देने के लिए डोंगल एक्टिवेट कराने का आरोप भी है, जिसे शासनादेशों के विरुद्ध बताया गया है।
ग्राम पंचायत सचिवों तथा पंचायत अधिकारियों के वेतन में देरी, बकाया भुगतान में मनमानी और जांच रिपोर्ट रोककर अवैध वसूली करने जैसी बातें भी शिकायत में शामिल हैं।
पी.एल. आहूजा ने शासन से मांग की है कि डीपीआरओ को तत्काल हटाते हुए निलंबित किया जाए और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि समयबद्ध कार्रवाई न हुई, तो वह हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करेंगे।

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