Friday, November 21, 2025
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चुनाव से पहले पैसा बांटना कल्याण नहीं, लोकतंत्र के साथ धोखा-डॉ. मुरली मनोहर जोशी

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि “चुनावों के दौरान पैसा बांटना कल्याण नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को कमजोर करना है”। दिल्ली में जीवीजी कृष्णमूर्ति की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने मौजूदा राजनीतिक संस्कृति पर कड़ा प्रहार किया। यह बयान उस समय आया है जब बिहार में एनडीए की जीत को महिलाओं को दिए गए दस हजार रुपये के नकद हस्तांतरण से जोड़कर देखा जा रहा है।

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डॉ. जोशी ने कहा कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों—कर्नाटक से बिहार तक, महाराष्ट्र से पूर्वोत्तर तक—आर्थिक क्षमता में भारी असमानता है, जिसके कारण “वोट की वैल्यू भी समान नहीं रह जाती”। संविधान राजनीतिक अधिकार देता है, लेकिन उन अधिकारों का वास्तविक उपयोग तभी संभव है जब नागरिक आर्थिक रूप से सशक्त हों। उन्होंने इस असमानता को राजनीतिक-आर्थिक भेदभाव बताया।

बिहार चुनावों का अप्रत्यक्ष संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि आज यह बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है कि कल्याणकारी योजनाओं का पैसा जनहित के लिए था या वोट खरीदने के लिए। यह टिप्पणी मौजूदा राजनीतिक विमर्श पर सीधा वार है, जहां कैश ट्रांसफर योजनाएँ चुनावी रणनीति बनती जा रही हैं।

देश में विकास के असमान वितरण को ठीक करने के लिए डॉ. जोशी ने भारत को लगभग 70 छोटे राज्यों में पुनर्गठित करने का प्रस्ताव दोहराया। उनके अनुसार, समान जनसंख्या और समान विधानसभा सीटों वाले छोटे राज्य संसाधनों के समान वितरण और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएंगे। उन्होंने देरी से हो रही जनगणना और परिसीमन पर भी चिंता जताई और इसे लोकतांत्रिक न्याय के लिए आवश्यक बताया।

डॉ. जोशी का बयान आज की राजनीति के लिए एक कठोर आईना है, जहां कल्याण की जगह चुनावी अवसरवाद हावी हो चुका है। उन्होंने साफ कहा कि लोकतंत्र केवल वोट डालने का अधिकार नहीं, बल्कि आर्थिक बराबरी पर आधारित राजनीतिक सम्मान है। सवाल यह है कि क्या राजनीतिक दल इस चुनौती को स्वीकार करेंगे या कैश-ट्रांसफर की राजनीति को ही अपना सबसे आसान हथियार बनाए रखेंगे।

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