महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। पराली संकट इस बार किसानों के लिए पहले से कहीं ज्यादा चुनौती लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के बाद जिले में प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है। हालात इतने गंभीर हैं कि अब जिले के आला अफसर कुर्सियों से उठकर सीधा खेतों में दौड़ रहे हैं। निरीक्षण, वीडियो मॉनिटरिंग और तत्काल रिपोर्टिंग—सब कुछ युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि पराली जलाने पर अब किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके बाद प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है और इसकी सीधी मार किसानों पर पड़ रही है। जहां एक तरफ खेती का मौसम, मजदूरों की कमी, मशीनें महंगी होने और खर्च बढ़ने से किसान पहले ही परेशान थे, वहीं अब पराली जलाने पर मुकदमे, जुर्माने और कार्रवाई का डर उनकी नींद उड़ा रहा है।
ग्रामीण इलाकों में ड्रोन से निगरानी, गांव-गांव टीमों की तैनाती और लगातार फील्ड विजिट से सरकार यह संदेश देना चाहती है कि पराली जलाने पर किसी भी कीमत पर रोक लगाई जाएगी। जिला प्रशासन का दावा है कि किसानों को जागरूक किया जा रहा है,मशीनों की उपलब्धता बढ़ाई जा रही है और वैकल्पिक समाधान दिए जा रहे हैं।
लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि सीमित संसाधनों, कम लागत की मजबूरी और समय की कमी के चलते किसान खुद को घिरा हुआ महसूस कर रहे हैं। कई किसान कहते हैं कि पराली का निपटारा करना आसान नहीं है, और कार्रवाई का डर उनके लिए खेती से बड़ा तनाव बन गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों ने जहां प्रदूषण नियंत्रण को नई मजबूती दी है, वहीं गांवों में इसकी प्रतिक्रिया कड़ी और मिली-जुली दोनों नजर आ रही है। प्रशासन की सख्ती और किसानों की मुश्किलें इस बात का संकेत हैं कि पराली संकट सिर्फ कृषि समस्या नहीं, बल्कि नीति, तकनीक और समय पर समाधान की बड़ी परीक्षा बन चुकी है।
पराली पर सुप्रीम मॉनिटरिंग! खेत-खलिहान में उतरे अफसर, किसानों की बढ़ी टेंशन – कानून की धार और जुर्माने का डर बना सरदर्द
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