Thursday, November 20, 2025
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भारत-नेपाल सीमा से बौद्ध भिक्षु के वेश में घुसी चीनी महिला को 8 साल की सजा, 50,000 रुपये जुर्माना—अदालत का बड़ा फैसला

लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)भारत-नेपाल सीमा पर दो वर्ष पूर्व पकड़ी गई चीनी महिला ली शिनमेई को स्थानीय अदालत ने मंगलवार को आठ साल के कठोर कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यह कार्रवाई भारत में अवैध घुसपैठ और विदेशी अधिनियम के गंभीर उल्लंघन के तहत की गई है। यह मामला सुरक्षा एजेंसियों के लिए विशेष रूप से संवेदनशील माना गया क्योंकि महिला कथित तौर पर बौद्ध भिक्षु के वेश में भारत में प्रवेश कर रही थी।

घटना कैसे हुई थी?

यह मामला 2 दिसंबर 2023 का है, जब सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 42वीं बटालियन के जवानों ने रुपईडीहा सीमा चौकी (भारत-नेपाल बॉर्डर) पर 45 वर्षीय ली शिनमेई को संदिग्ध परिस्थिति में रोका। जाँचकर्ताओं ने बताया कि महिला साधु के वस्त्र पहनकर नेपाल से भारत में घुसने का प्रयास कर रही थी। शुरुआती पूछताछ व दस्तावेज़ों की जाँच में पता चला कि वह बिना किसी वैध भारतीय वीज़ा के भारत में प्रवेश कर चुकी थी।

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ली शिनमेई चीन के शांदोंग प्रांत की रहने वाली है और उसके पास चीन गणराज्य का पासपोर्ट मिला। पासपोर्ट पर लगाए गए नेपाली वीज़ा की वैधता 19 नवंबर 2023 से 16 फरवरी 2024 तक थी, जो नेपाल में प्रवेश के लिए मान्य था, लेकिन भारत के लिए नहीं।

विदेशी दस्तावेज़ व इलेक्ट्रॉनिक सामान बरामद

महिला भाषा नहीं समझती थी, इसलिए उससे पूछताछ एक दुभाषिए के माध्यम से की गई। सुरक्षा बलों ने उससे पासपोर्ट, चीनी नागरिकता कार्ड, विभिन्न देशों के कई एटीएम कार्ड, मोबाइल फोन, ईयरफोन, एक मसाजर, एक स्मृति पुस्तिका और चीनी भाषा में लिखा एक धार्मिक ग्रंथ भी बरामद किया। यह सब सामान सुरक्षा एजेंसियों के लिए जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा बना।

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रुपईडीहा थाने में विदेशी अधिनियम की धारा 14A के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। दिसंबर 2023 में इस मामले में आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया था।

अदालत का कड़ा रुख

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कविता निगम ने अपने फैसले में माना कि ली शिनमेई ने जानबूझकर भारत में अवैध प्रवेश किया और यह गंभीर सुरक्षा उल्लंघन की श्रेणी में आता है। अदालत ने उसे आठ साल की जेल और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जज ने यह भी स्पष्ट किया कि जुर्माना न भरने पर उसे अतिरिक्त छह महीने की कैद भुगतनी होगी।

यह फैसला भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा और विदेशी नागरिकों की निगरानी को लेकर महत्वपूर्ण मिसाल माना जा रहा है।

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