Thursday, November 20, 2025
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भारतीय सेना का बड़ा कदम: रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड की सफलता के बाद ‘कोल्ड स्ट्राइक’ सिद्धांत लागू करने की तैयारी

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा)हाल ही में संपन्न तीनों सेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास ‘त्रिशूल’ ने भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमताओं को नए आयाम दिए हैं। इस अभ्यास में नवगठित रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड ने जिस दक्षता और समन्वय का प्रदर्शन किया, उसने सेना को अपने पारंपरिक ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत को उन्नत कर ‘कोल्ड स्ट्राइक’ मॉडल अपनाने की दिशा में निर्णायक संकेत दिया है।

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दक्षिणी कमान के सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने रेगिस्तानी क्षेत्र में संचालित ‘अखंड प्रहार’ के बाद स्पष्ट कहा कि रुद्र ब्रिगेड ने “पूरी तरह से ऑपरेशनल क्षमता सिद्ध कर दी है।” उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि भारतीय सेना तेजी, समेकन और बहु-आयामी प्रहार क्षमता के साथ Cold Strike जैसी उन्नत रणनीति अपनाए, जो भविष्य के युद्धक्षेत्र की जरूरतों के अनुरूप है।

क्यों आवश्यक हुई ‘कोल्ड स्ट्राइक’ रणनीति?

2001 में संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भारतीय सेना को सीमा तक पहुंचने में लंबा समय लगा था। इस धीमी लामबंदी के कारण सामरिक नुकसान हुआ। इसके बाद ‘कोल्ड स्टार्ट’ सिद्धांत बना, जो तेज और सीमित अभियानों पर आधारित था। लेकिन बदलते सुरक्षा परिदृश्य, आधुनिक तकनीक, नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध और ड्रोन आधारित ऑपरेशनों ने अब एक और तेज, सटीक और बहु-आयामी मॉडल — कोल्ड स्ट्राइक की आवश्यकता को जन्म दिया।

रुद्र ब्रिगेड: भविष्य की “स्वयंपूर्ण युद्ध इकाई”

भारतीय सेना 250 से अधिक पारंपरिक ब्रिगेडों को आधुनिक रुद्र ऑल-आर्म्स ब्रिगेड में बदल रही है। इनमें पैदल सेना, मैकेनाइज़्ड यूनिट, टैंक रेजिमेंट, तोपखाना, एयर डिफेंस, इंजीनियर, सिग्नल, विशेष बल और ड्रोन स्क्वॉड्रन तक एकीकृत होंगे।
रुद्र ब्रिगेड शांति और युद्ध—दोनों ही परिस्थितियों में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम होंगी।

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वर्तमान में लद्दाख और सिक्किम में दो रुद्र ब्रिगेडें पहले ही तैनात हैं, जो चीन सीमा पर भारतीय तैयारी और सामरिक बढ़त को और मजबूत करती हैं।

त्रिशूल अभ्यास: संयुक्त युद्ध क्षमता का प्रदर्शन

अभ्यास के दौरान 12 ‘कोणार्क’ कोर ने रुद्र ब्रिगेड ‘ब्लैक मेस’ को जिस तरह तैनात किया, वह इंडियन आर्मी के ज्वॉइंट ऑपरेशन मॉडल की उत्कृष्ट मिसाल है।
इसमें हेलिबॉर्न मिशन, मैकेनाइज़्ड मूवमेंट, टैंक-मैनुवर, आर्टिलरी फायर, ड्रोन-आधारित लक्ष्य निर्धारण और वायुसेना के ग्राउंड-अटैक मिशनों ने सेना की नई युद्ध क्षमता को सिद्ध किया।

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रुद्र ब्रिगेडों का उभार और ‘कोल्ड स्ट्राइक’ मॉडल भारतीय सेना के विकास का निर्णायक अध्याय है। यह तेज, लचीले, सटीक और बहु-स्तरीय युद्ध अभियानों की दिशा में भारत की मजबूत रणनीतिक तैयारी को दर्शाता है।

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भारत अब दुनिया को साफ संदेश दे रहा है— हम हर परिस्थिति में तैयार हैं, पहले से अधिक शक्ति और गति के साथ।

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