Thursday, November 20, 2025
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शयन के सनातन नियम

सूने घर में अकेले सोना वर्जित है,
मन्दिर, श्मशान में सोना वर्जित है,
सोए को अचानक जगाना ठीक नहीं,
विद्यार्थी, कर्मचारी, संतरी व सैनिक,
ये अधिक समय तक सोए हों, तो इन्हें,
ज़्यादा समय तक सोने देना ठीक नहीं।

बृहम मुहूर्त में ही स्वस्थ मनुष्य को
स्वास्थ्य रक्षा हेतु उठ जाना चाहिए,
निरा अँधेरे कक्ष में नहीं सोना चाहिए,
सूखे पैर सोने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है,
भीगे पैर कभी भी नहीं सोना चाहिये,
टूटे खाट में व जूठे मुँह नहीं सोना चाहिये।

नग्न या निर्वस्त्र कभी नहीं सोना चाहिए,
पूर्व की ओर सिर करके सोने से विद्या,
पश्चिम दिशा सिर करके सोने से चिन्ता,
उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि,
तथा दक्षिण दिशा सिर करके सोने
से धन और आयु की होती है वृद्धि।

दिन में कभी भी नहीं सोना चाहिए,
दिन में सोने से सुस्ती आ जाती है,
और शरीर में रोग भी बढ़ जाते हैं,
आयु का क्षरण भी होने लगता है,
हाँ ज्येष्ठ मास में दोपहर के समय
कुछ देर के लिए सोया जा सकता है।

दिन में और सूर्योदय एवं सूर्यास्त के
समय सोने से रोग़ी व दरिद्र हो जाता है,
सूर्यास्त के एक प्रहर, लगभग तीन
घण्टे बाद ही सोना शुभ माना जाता है।

बायीं करवट सोना स्वास्थ्य हेतु शुभ है,
दक्षिण में यम और देवों का निवास है,
उधर पाँव करके सोना भी अशुभ है,
कान में हवा भर जाती है, स्मृति ह्रास
मस्तिष्क में रक्त संचार कम होता है,
बीमारियाँ व देहावसान तक हो जाता है।

हृदय पर हाथ रख, छत के पाट/ बीम
के नीचे, पैर पर पैर चढ़ाकर न सोयें,
शय्या पर बैठ भोजन करना अशुभ है,
सोते सोते पढ़ने से नेत्र ज्योति घटती है,
मस्तक पर तिलक लगा सोना अशुभ है,
सोने से पहले तिलक हटा देना शुभ है।

आदित्य इन सोलह नियमों का
अनुकरण करने वाला यशस्वी,
निरोगी और दीर्घायु हो जाता है,
ऐसे शख़्स का जीवन सुखी होता है।

डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’

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