पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती और मध्य-दिवस रुझानों ने राज्य की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया है। मतगणना के ताज़ा रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) स्पष्ट बढ़त के साथ पूर्ण बहुमत से आगे निकलता दिख रहा है, जबकि महागठबंधन (एमजीबी) पिछड़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडी(यू), भाजपा और सहयोगी दलों ने मिलकर इस चुनाव में वह पकड़ मजबूत की है जिसकी उम्मीद खुद उनके भीतर भी सीमित थी।
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सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) — LJP(RV) — ने इस चुनाव में धमाकेदार प्रदर्शन किया है। 2020 के चुनाव में मात्र एक सीट जीतने वाली पार्टी इस बार 22 सीटों पर आगे चल रही है और एनडीए की ऐतिहासिक जीत में प्रमुख सहयोगी बनकर उभर रही है।
एनडीए को ऐतिहासिक बहुमत का संकेतमतगणना सुबह 8 बजे शुरू हुई और शुरुआती चरण से ही एनडीए ने बढ़त बनानी शुरू कर दी।
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चुनाव आयोग के नवीनतम अपडेट के अनुसार:
एनडीए: 187–192 सीटों पर आगे
भाजपा: 81–86 सीटों पर बढ़त
जेडी(यू): 75–82 सीटों पर बढ़त
लोजपा (RV): 20–22 सीटों पर बढ़त
हम: 4 सीटें
आरएलएम: 1–4 सीटें
एनडीए ने बहुमत के लिए आवश्यक 121 का आंकड़ा काफी पहले पार कर लिया, और अब 160+ के लक्ष्य की ओर बढ़ता दिख रहा है।
पार्टी कार्यालयों में उत्साह स्पष्ट देखा जा सकता है, वहीं शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष की पटना में एनडीए की जीत पर संबोधन की तैयारियाँ जोर पकड़ चुकी हैं।
चिराग पासवान का जलवा: 2020 से 2025 तक की बड़ी छलांग
चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) 2025 के बिहार चुनावों की सबसे बड़ी राजनीतिक कहानी बनकर उभरी है।
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2020 में सिर्फ 1 सीट जीतने के बाद पार्टी इस बार 28 सीटों पर उतरी और 22 सीटों पर आगे चल रही है।
पार्टी ने इस बार 5.73% वोट शेयर हासिल किया है, जो बिहार में तीसरी सबसे मजबूत लहर जैसी स्थिति बना चुका है।
यह प्रदर्शन न सिर्फ चिराग पासवान की व्यक्तिगत राजनीति की पुष्टि करता है बल्कि एनडीए में उनकी बढ़ती उपयोगिता भी दर्शाता है।
महागठबंधन की मुश्किलें, कांग्रेस सबसे कमजोर कड़ी
महागठबंधन इस चुनाव में बुरी तरह संघर्ष करता दिख रहा है। दोपहर तक के रुझान:महागठबंधन कुल बढ़त: केवल 44–46 सीटें
राजद: 33–58 सीटें (समय अनुसार रुझान बदलते रहे)
कांग्रेस: सिर्फ 5–14 सीटों पर बढ़त भाकपा (माले) लिबरेशन: 1–6 सीटें राजद अभी भी गठबंधन की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी बनी हुई है, लेकिन कांग्रेस का लगातार कमजोर प्रदर्शन 2020 की तरह इस बार भी महागठबंधन की सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है।
2020 में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़कर केवल 19 जीत पाई थी।
2025 में उसने 61 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन शुरुआती रुझान दिखाते हैं कि पार्टी केवल दहाई के आंकड़े तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रही है।
यह संकेत है कि महागठबंधन के भीतर कांग्रेस की कमजोर स्ट्राइक रेट अब चुनावी समीकरण बदलने लगी है।
नीतीश कुमार की ‘अग्निपरीक्षा’ में शानदार सफलता
2025 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए राजनीतिक परीक्षा माना जा रहा था।
पिछले दो दशकों में उनकी राजनीति के केंद्र में रहने की परंपरा इस चुनाव में भी कायम दिख रही है।
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जेडी(यू) 78–82 सीटों पर आगे है, और भाजपा के साथ उनकी बराबर दावेदारी उन्हें फिर से गठबंधन का प्रमुख चेहरा बना रही है।
दोनों प्रमुख दलों के लगभग बराबर प्रदर्शन ने एनडीए के भीतर “बड़ा भाई कौन” वाली बहस भी रोचक बना दी है।
उच्च मतदान और मजबूत सुरक्षा के बीच जारी मतगणना
बिहार में 67.13% का ऐतिहासिक मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले कई दशकों का रिकॉर्ड है।
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6 और 11 नवंबर को हुए दो चरणों के मतदान में 7.45 करोड़ मतदाताओं ने 2,616 उम्मीदवारों के भविष्य का फैसला किया।
राज्य के 38 जिलों में 46 मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है।
एनडीए की जीत के कारक: मोदी फैक्टर से लेकर जातीय समीकरण तक
चुनावी विश्लेषकों के अनुसार एनडीए की मजबूत बढ़त के पीछे कई कारक रहे:
- मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता का असर
- जेडी(यू)–भाजपा की नई संयुक्त रणनीति
- चिराग पासवान की लोजपा का प्रदर्शन और वोट कटाव में कमी
- महागठबंधन की आंतरिक कमजोरी, विशेषकर कांग्रेस
- मुस्लिम–यादव (MY) समीकरण का कमजोर होना
- स्थानीय मुद्दों पर तेजस्वी यादव की पकड़ कमजोर पड़ना
बिहार में सत्ता वापसी की तरफ एनडीए की तेज रफ्तार
रुझानों ने साफ कर दिया है कि बिहार में एनडीए मजबूत वापसी कर रहा है और यह नीतीश कुमार एवं भाजपा दोनों के लिए ऐतिहासिक क्षण हो सकता है।
चिराग पासवान की पार्टी इस जीत की सबसे बड़ी ‘किंगमेकर’ और ‘उभरती शक्ति’ बनकर सामने आई है।
अब निगाहें अंतिम परिणामों पर और शाम को होने वाले पीएम व भाजपा नेतृत्व के संबोधन पर टिकी हैं।
