पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार की राजनीति एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर है। राज्य के मतदाताओं ने दो चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के लिए अपना फैसला ईवीएम में बंद कर दिया है, और अब सभी की निगाहें 15 नवंबर को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। इस बार का मुकाबला सिर्फ सत्ता के लिए नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है। सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार अपने दो दशक पुराने शासन को जारी रख पाएंगे या फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव अपने नेतृत्व में पहली बड़ी जीत दर्ज करेंगे?
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इस चुनाव में एनडीए (भाजपा, जदयू और लोजपा-रामविलास) एक बार फिर सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रहा है, जबकि विपक्षी महागठबंधन – जिसमें राजद, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं – सत्ता परिवर्तन की आस लगाए हुए है। 2020 के चुनाव में तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन को महज 12,000 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था, और इस बार वे उस कमी को पूरा करने के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरे हैं।
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राज्य के 38 जिलों में कुल 7.45 करोड़ मतदाताओं ने 2,616 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया है। इस बार रिकॉर्ड 67.13% मतदान दर्ज किया गया, जो 1951 के बाद सबसे अधिक है। खास बात यह रही कि महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही — महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.78% जबकि पुरुषों का 62.98% रहा। यह बिहार की राजनीति में महिलाओं की बढ़ती जागरूकता और भागीदारी को दर्शाता है।
निर्वाचन आयोग ने मतगणना को लेकर कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। 38 जिलों में बनाए गए 46 मतगणना केंद्रों पर दो-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की गई है — अंदरूनी सुरक्षा का जिम्मा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के पास है, जबकि बाहरी सुरक्षा राज्य पुलिस संभाल रही है। ईवीएम और वीवीपैट मशीनों को दोहरे ताले और निगरानी कैमरों के तहत सुरक्षित रखा गया है। वरिष्ठ जिला अधिकारी लगातार निगरानी में रहेंगे ताकि मतगणना पूरी पारदर्शिता से हो सके।
वहीं, लगभग सभी एग्जिट पोल एनडीए की वापसी का संकेत दे रहे हैं। लेकिन तेजस्वी यादव ने इन अनुमानों को खारिज करते हुए कहा कि “महागठबंधन इस बार स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाएगा।” राजद नेताओं ने चेतावनी दी है कि मतगणना के दौरान किसी भी तरह की “अनुचित गतिविधि” बर्दाश्त नहीं की जाएगी, जबकि भाजपा ने इसे विपक्ष की “हताशा” करार दिया है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या नीतीश कुमार रिकॉर्ड पांचवीं बार मुख्यमंत्री बनेंगे, या तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिखेंगे। नतीजे यह तय करेंगे कि जनता ने “अनुभव” को चुना है या “परिवर्तन” को।
