Saturday, October 18, 2025
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“बदलाव की बयार में नीतीश का बड़ा फैसला – जेडीयू ने नई टोली उतारी मैदान में”

पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रण में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। गुरुवार देर शाम जारी दूसरी सूची में 44 नाम शामिल किए गए, जबकि पहली सूची में 57 प्रत्याशी घोषित हुए थे। इस तरह जेडीयू ने कुल 101 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं — जो गठबंधन में उसके हिस्से की सभी सीटें हैं।

इस बार पार्टी ने “नए जोश और पुराने अनुभव” का संतुलन साधते हुए 37 मौजूदा विधायकों पर दोबारा भरोसा जताया है, जबकि 7 विधायकों के टिकट काटे गए हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल का है, जिनकी जगह बुलो मंडल को उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने यह संकेत दिया है कि इस बार प्रदर्शन और संगठन निष्ठा ही टिकट की असली कसौटी रही।

जेडीयू ने 13 महिला और 4 अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को मौका दिया है। इनमें लेशी सिंह, शीला मंडल, मीना कामत और शालिनी मिश्रा जैसी सक्रिय महिला नेता शामिल हैं। वहीं, नए चेहरों को भी मौका मिला है — बसपा से आए जमा खान को चैनपुर, राजद छोड़ने वाले चेतन आनंद को नवीनगर और विभा देवी को नवादा से टिकट दिया गया है। निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को भी इस बार जेडीयू ने अपने सिंबल पर मैदान में उतारा है।

दिलचस्प बात यह है कि पार्टी ने इस बार वंशवाद और बगावत दोनों को साधने की रणनीति अपनाई है। सिकटा से समृद्ध वर्मा, जो पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के पुत्र हैं, को टिकट मिला है। वहीं, पार्टी छोड़कर प्रतिद्वंद्वी खेमे में गए नेताओं की जगह नए उम्मीदवार उतारे गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, टिकट बंटवारे में नीतीश कुमार और जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह की निर्णायक भूमिका रही। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने हर उम्मीदवार का रिपोर्ट कार्ड और क्षेत्रीय समीकरण खुद परखा, ताकि कोई भी सीट संगठन के लिए कमजोर न रहे।

2020 के चुनाव में जेडीयू ने 115 सीटों पर लड़कर 43 सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी 101 सीटों पर फोकस रणनीति के साथ मैदान में है। कम सीटों पर मजबूत उम्मीदवार उतारना ही उसका नया फार्मूला है। पार्टी को उम्मीद है कि एनडीए के नए समीकरण और नीतीश कुमार के नेतृत्व की स्थिरता से इस बार पिछली बार से बेहतर नतीजे मिलेंगे।

हालांकि, जिन विधायकों के टिकट कटे हैं, उनमें से कई अब नाराज और बागी तेवर दिखा रहे हैं, जिससे जेडीयू को भीतरखाने चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है। लेकिन पार्टी नेतृत्व का विश्वास है कि अनुभव, निष्ठा और नया उत्साह ही इस बार की जीत की कुंजी बनेगा।

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