बलिया (राष्ट्र की परम्परा) प्रदेश सरकार के द्वारा आम लोगो को समुचित और निःशुल्क इलाज के लिए आयोजित कराया जा रहा मुख्यमंत्री आरोग्य मेला केवल खानापूर्ति के अलावा और कुछ नहीं है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पूर पर आयोजित आरोग्य मेला का जायजा लिया तो पाया कि इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर महीनों से कोई एलोपैथीक चिकित्सक तैनात नही है। ना ही कोई महिला चिकित्सक की तैनाती है।
बिना पुरुष/महिला चिकित्सक के केवल मात्र फार्मासिस्ट के सहारे आरोग्य मेले का आयोजन किया जा रहा है। दवा के नाम पर कुछ ही दवा उपलब्ध है। यहाँ मरीजो को फार्मासिस्ट पंकज कुमार सिंह देख रहे थे। वही होमियोपैथी के रूप डॉ हरिश्चंद्र उपस्थित थे और मरीजो को देख रहे थे।जबकि आयुर्वेद चिकित्सा में कोई डॉक्टर या कर्मचारी उपस्थित नही था। बताया गया कि आयुर्वेद के चिकित्सक के न होने से आयुर्वेद अस्पताल के लोग आरोग्य मेले में नही आये हैं।
वही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गढ़मलपुर पर आयोजित मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का हाल तो और खराब था।इस स्वास्थ केंद्र पर बिजली पानी की व्यवस्था न होने के कारण पंखा इत्यादि बंद पड़ेथे।वही महीनों से इस स्वास्थ्य केंद्र पर एलोपैथिक चिकित्सक की तैनाती न होने से एक मात्र फार्मासिस्ट अनुराग गंभीर के सहारे चल रहा है। दवाओं के नाम पर ना के बराबर दवाएं थी। इस केंद्र पर एक लैब असिस्टेंट की भी तैनाती है लेकिन लैब और उपकरण के आभाव में लैब असिस्टेंट दिन भर समय काटता रहता है।जांच के नाम पर कुछ भी नही है।वही होमियोपैथी चिकित्सा केंद्र सरयां बागडौरा के होम्योपैथी चिकित्सक डॉ हरिश्चंद कुछ मरीजो को देख रहे थे। यहाँ भी मरीजो के इलाज के नाम पर कोरम ही पूरा किया जा रहा था। कर्मचारी के रूप में एक मात्र वार्डब्याय सुरेंद्र राम उपस्थित दिखे। कुल मिलाकर यहां मुख्यमंत्री आरोग्य मेला का माखौल ही उड़ाया जाता दिख रहा था। मरीजो के लिए दवा और सुविधा के नाम पर यहां कुछ भी नही है। ग्रामीण क्षेत्रों के भोले भाले ग्रामीणों का निःशुल्क इलाज के नाम पर केवल रस्म अदायगी पर की जा रही है।
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