(राष्ट्र की परम्परा के लिए पंडित राजकुमार मणि की प्रस्तुति)
शारदीय नवरात्रि में प्रत्येक दिन माता दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा का विधान है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मचारिणी माता तपस्या और संयम की प्रतीक हैं। इनकी उपासना से साधक को असीम धैर्य, तप और विजय की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी सरलता से सिद्ध हो जाते हैं और साधक के जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। उनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और शांत है। यह रूप साधना और तपस्या का प्रतीक है। माता के इस रूप की पूजा से आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है।
पूजा की विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें और माता दुर्गा के चित्र अथवा प्रतिमा को गंगाजल से पवित्र कर स्थापित करें। फिर कलश स्थापना कर दीपक जलाएं।
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद या गुलाबी पुष्प अर्पित करना श्रेष्ठ माना गया है।
अक्षत, सिंदूर, चंदन और धूप-दीप से पूजन करें।
प्रसाद के रूप में मिश्री, गुड़ अथवा शक्करयुक्त पंचामृत अर्पित करना शुभ फलदायी होता है।
पूजा के समय मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उनके बीज मंत्र और स्तुति का जप करें।
मंत्र
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए निम्न मंत्र का जप विशेष फलदायी होता है–
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥”
इसके अतिरिक्त ध्यान मंत्र का पाठ भी करना चाहिए–
“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”
मंत्र जप के समय कमलासन या कुशासन पर बैठकर मन को एकाग्र करना चाहिए।
महत्व
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक में त्याग, तप और संयम की शक्ति विकसित होती है। यह रूप साधना और ब्रह्मचर्य का सर्वोच्च आदर्श माना जाता है। माना जाता है कि माता की कृपा से साधक को कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति मिलती है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है। छात्र, साधक और तपस्वी विशेष रूप से इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करके ज्ञान और सफलता की प्राप्ति कर सकते हैं।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का अत्यंत महत्व है। विधिवत पूजा करने से जीवन में धैर्य, आत्मविश्वास और सफलता के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से साधक का जीवन तप, संयम और सिद्धि से परिपूर्ण हो जाता है। इसलिए भक्तजन इस दिन श्रद्धा और भक्ति से मां की आराधना अवश्य करें।