(इटावा से राहुल कुमार की रिपोर्ट)
इटावा (राष्ट्र की परम्परा)। जसवंतनगर में स्थित शिव गौर क्लीनिक एक बार फिर विवादों में है। तीन सप्ताह पहले 10 वर्षीय दिव्यांश की मौत से उपजा आक्रोश लोग अभी भूल भी नहीं पाए थे कि अब एक और मरीज की मौत ने क्लीनिक की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नवीनतम मामले में, एक महिला को मामूली चोट के इलाज के लिए परिजन इस क्लीनिक में लेकर आए थे। लेकिन परिजनों के विरोध के बावजूद स्टाफ ने उसे एक इंजेक्शन लगाया। हैरानी की बात यह रही कि इंजेक्शन लगने के महज 10 मिनट के भीतर महिला ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है कि यह सीधी-सीधी लापरवाही और आपराधिक लापरवाही का मामला है।
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यह घटना जसवंतनगरवासियों को उस दर्दनाक हादसे की याद दिलाती है, जब 10 साल का मासूम दिव्यांश पेट दर्द की शिकायत पर इसी क्लीनिक लाया गया था। करीब एक घंटे तक इलाज चलता रहा, लेकिन बच्चा जिंदगी की जंग हार गया। उस दिन उसकी मां अपने मृत बेटे को गोद में लिए मदद के लिए अस्पताल-दर-अस्पताल भटकती रही, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि डॉ. शिव गौड़ का यह क्लीनिक चिकित्सा मानकों की धज्जियां उड़ा रहा है। यहां न तो उचित चिकित्सकीय सुविधाएं हैं और न ही प्रशिक्षित स्टाफ। फिर भी इलाज के नाम पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सवाल यह है कि दो मौतों के बाद भी स्वास्थ्य विभाग चुप क्यों है? क्या प्रशासन किसी और की जान जाने का इंतजार कर रहा है?
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इस बार मृतका के परिजनों ने खुलकर मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि शिव गौर क्लीनिक पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए और दोषियों को कठोर सजा मिले। इटावा के स्वास्थ्य तंत्र और जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर क्यों लापरवाह क्लीनिकों पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा।
अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासनिक मशीनरी जागेगी या फिर शिव गौर क्लीनिक में हुई ये मौतें भी महज सुर्खियों तक सीमित रह जाएंगी।