Monday, October 13, 2025
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एबीवीपी का डीयू चुनाव में धमाकेदार प्रदर्शन, अध्यक्ष सहित तीन पदों पर कब्ज़ा

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डीयूएसयू) चुनाव 2025 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने शानदार जीत दर्ज की है। परिषद ने चार प्रमुख पदों में से तीन पर कब्ज़ा जमाते हुए कैंपस में अपनी पकड़ मज़बूत कर ली है। अध्यक्ष पद पर एबीवीपी उम्मीदवार आर्यन मान ने 28,841 मत पाकर भारी जीत हासिल की।

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एबीवीपी के गोविंद तंवर और कुणाल चौधरी क्रमशः उपाध्यक्ष और सचिव चुने गए। गोविंद तंवर को 20,547 और कुणाल चौधरी को 23,779 वोट मिले। वहीं, संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी की दीपिका झा ने 21,825 मत प्राप्त कर जीत दर्ज की।

हालाँकि, कांग्रेस समर्थित भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (एनएसयूआई) उपाध्यक्ष पद पर अपना वर्चस्व बनाए रखने में सफल रही। एनएसयूआई उम्मीदवार राहुल झांसला ने 29,339 मत पाकर यह पद जीता। इस तरह उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी को हार का सामना करना पड़ा।

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मुकाबले में कई चेहरे

अध्यक्ष पद के लिए इस बार नौ उम्मीदवार मैदान में थे। एबीवीपी से आर्यन मान, एनएसयूआई से जोसलीन नंदिता चौधरी और एसएफआई-आइसा गठबंधन से अंजलि मुख्य दावेदार थीं। इनके अलावा अनुज कुमार, दिव्यांशु सिंह यादव, राहुल कुमार, उमांशी लांबा, योगेश मीणा और अभिषेक कुमार भी इस दौड़ में शामिल थे।

पिछले साल का समीकरण

पिछले वर्ष 2024 में एनएसयूआई ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद जीतकर सात साल बाद वापसी की थी। तब एनएसयूआई के रौनक खत्री ने एबीवीपी के ऋषभ चौधरी को 1,300 से अधिक मतों से हराया था। वहीं एबीवीपी ने उपाध्यक्ष और सचिव पद पर जीत दर्ज की थी। 2017 के बाद यह पहला मौका था जब एनएसयूआई अध्यक्ष पद जीत सकी थी।

छात्रों में उत्साह और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम

इस बार भी चुनाव के प्रति छात्रों में ज़बरदस्त उत्साह देखने को मिला। डीयू के 52 कॉलेजों, विभागों और संस्थानों के छात्रों ने गुरुवार को मतदान किया। परिसर में सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान दिया गया, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति न बने।

बड़ा संदेश

इस जीत के साथ एबीवीपी ने डीयू की राजनीति में एक बार फिर अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराई है। वहीं एनएसयूआई उपाध्यक्ष पद पर कब्ज़ा बरकरार रखकर भविष्य के लिए उम्मीदें कायम रखना चाहती है। इस चुनाव के नतीजे आने वाले छात्र आंदोलनों और विश्वविद्यालय राजनीति के रुझानों पर भी गहरा असर डाल सकते हैं।

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