



प्राचीन भारत में साहित्य कला एवं संस्कृति में हिंदी का अभिन्न योगदान है व भारतीय समाज की आत्मा है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं
गोंदिया- वैश्विक स्तरपर भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविधताओं में एकता के लिए जाना जाता है।यहां सैकड़ों भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं, जिनमें से हिंदी देश की सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा है। यह दिन केवल एक भाषा के सम्मान का दिन नहीं है, बल्कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और पहचान की आत्मा का उत्सव है। हिंदी न केवल भारत में करोड़ों लोगों की मातृभाषा है, बल्कि यह विश्व के उन प्रमुख भाषाई ध्वजों में से एक है, जिसने अपनी जड़ों को मजबूत बनाए रखा,वैश्विक स्तरपर भी विस्तार पाया है।हर साल 14 सितंबर का दिन पूरे देश में हिंदी दिवस के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं कि वैश्विक स्तरपर इंग्लिश मंदारिन के बाद,हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोलने वाली भाषा है।10 जनवरी 2025 को जहां विश्व में हिंदी दिवस मनाया जाता है, वही 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है, क्योंकि हिंदी को 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में राजभाषा बनाने का फैसला किया था।वैश्विक स्तरपर हिंदी को लेकर पहला आयोजन 10 जनवरी 1974 को महाराष्ट्र के नागपुर में किया गया था, इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था। साल 2006 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। हिंदी हमारी एक राजभाषा है और उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रमुख रूप से बोली जाती है। हिंदी भारत के अलावा भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका में भी बोली जाती है,इसके अलावा दुनियाँ के कई देशों में यह भाषा लोकप्रिय है और मॉरीशस जैसे देशों में भी बोली जाती है। हिंदी को जन-जन की भाषा के रूप में भी जाना जाता है औए इस भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।हर साल दो बार हिंदी दिवस मनाया जाता है।जनगणना 2011 के अनुसार, भारत की लगभग 44 पर्सेंट आबादी हिन्दी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलती है। हिन्दी भाषा का प्रभाव सबसे ज़्यादा उत्तर भारत में देखने को मिलता है। उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को अक्सर ‘हिन्दी बेल्ट’ कहा जाता है।इसी पृष्ठभूमि में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाना न सिर्फ भाषा के गौरव को बढ़ाता है, बल्कि हमें यह भी याद दिलाता है कि अपनी मातृभाषा कोअपनाना और आगे बढ़ाना कितना ज़रूरी है।साहित्य की बात करें तो हिन्दी साहित्य का एक महत्वपूर्ण दौर छायावादी युग कहलाता है, जिसके चार स्तंभ माने जाते हैं- जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा।वहीं, हिन्दी के ‘राष्ट्रकवि’ रामधारी सिंह दिनकर को माना जाता है।हिन्दी हमारी पहचान और संस्कृति का अहम हिस्सा है, इसलिए इस दिन लोग अलग-अलग तरीकों से अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हैं। चूँकि हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति परंपरा व जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से, इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 2025, हिंदी भाषा सभी समुदायों धर्मो संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती है।
साथियों बात अगर हम हिंदी भाषा को गहराई से जानने की करें तो, (1) राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। वह चाहते थे कि हिन्दी राष्ट्रभाषा बने। उन्होंने 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बादआखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्दी को राज भाषा बनाने का फैसला लिया गया। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाए जाने के विचार से बहुत से लोग खुश नहीं थे। कइयों का कहना था कि सबको हिंदी ही बोलनी है तो आजादी के क्या, मायने रह जाएंगे, ऐसे में मत बंटने से हिंदी नहीं बन पाई देश की राष्ट्रभाषा। (2) इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।(3) विश्व हिंदी दिवस और हिंदी दिवस में अंतर है, भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को होता है। वहीं हर साल विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है। दोनों दिनों का मकसद हिन्दी को प्रोत्साहित करना है। विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य वैश्विक स्तरपर इसे बढ़ावा देना है।14 सितंबर के दिन 1949 में संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा बनाने का फैसला किया था। इस दिन की याद में राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। जबकि विश्व हिंदी दिवस का मकसद विश्व में हिंदी को बढ़ावा देना है। 10 जनवरी, 2006 को भारत सरकार ने इसे विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। पहले विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में किया गया था। अभी तक पोर्ट लुईस, स्पेन, लंदन, न्यूयॉर्क, जोहानसबर्ग आदि सहित भारत में विश्व हिन्दी सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। (4) दुनियाँ की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (शब्दकोश) हर साल भारतीय शब्दों को जगह दे रही है।ऑक्सफोर्ड ने आत्मनिर्भरता, चड्डी, बापू, सूर्य नमस्कार, आधार, नारी शक्ति और अच्छा शब्द को भी अपने प्रतिष्ठित शब्दकोश में जगह दी है। ‘अरे यार!’,भेलपूरी, चूड़ीदार, ढाबा, बदमाश, चुप, फंडा, चाचा, चौधरी, चमचा, दादागीरी, जुगाड़, पायजामा, कीमा, पापड़, करी, चटनी, अवतार, चीता, गुरु, जिमखाना, मंत्र, महाराजा, मुग़ल, निर्वाण, पंडित, ठग, बरामदा जैसे शब्द भी इसमें शामिल हैं। (5) दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। (6) भारत के अलावा मॉरीशस,फिलीपींस, नेपाल, फिजी, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत औरपाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है। (7) हिंदी में उच्चतर शोध के लिए भारत सरकार ने 1963 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। देश भर में इसके आठ केंद्र हैं। (8) अभी विश्व के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं। अमेरिका में लगभग एक सौ पचास से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है। (9) भारत,फिजी के अलावामॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है। (10) हिंदी का नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि। फारसी बोलने वाले तुर्क जिन्होंने गंगा के मैदान और पंजाब पर आक्रमण किया,11वीं शताब्दी कीशुरुआत में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को ‘हिंदी’ नाम दिया था। यह भाषा भारत की आधिकारिक भाषा है और संयुक्त अरब अमीरात में एक मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक भाषा है।
साथियों बात अगर हम हिंदी भाषा को एक भाषा नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति परंपरा वह जीवन शैली के लिए अभिन्न हिस्सा होने की करें तो, हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। यह हमारी पहचान है, और हम सभी हिंदी बोलकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखते हैं। हिंदी भाषा का इतिहास बहुत पुराना है और यह हमारे साहित्य, कला, और फिल्म उद्योग का अभिन्न हिस्सा है। हिंदी फिल्मों के माध्यम से यह भाषा न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोकप्रिय हुई है। बॉलीवुड ने हिंदी को वैश्विक स्तर पर एक पहचान दिलाई है।दुनिया भर में हिंदी बोलने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत में लगभग 44 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसके अलावा, नेपाल पाकिस्तान, बांगलादेश, श्रीलंका जैसे देशों में भी हिंदी बोली जातीहै।आजकल हिंदी का प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है, और विभिन्न देशों में हिंदी सीखने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हिंदी भाषा अब न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लोगों के बीच संवाद का माध्यम बन गई है। हिंदी भाषा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सभी समुदायों, धर्मों और संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती है। भारत में विविधता के बावजूद हिंदी ने हमेशा एकता का प्रतीक माना है। यह भाषा हमारे राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत करती है। हिंदी में संवाद करने से हम अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को आसानी से व्यक्त कर सकते हैं।विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी को एक वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करना है। इस दिन हम यह संकल्प लेते हैं कि हम अपनी भाषा को बढ़ावा देंगे और इसे पूरे विश्व में फैलाने का कार्य करेंगे। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंदी को न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी सम्मान मिले।
अतः अगर हम उपलब्ध पर्यावरण का अध्ययन करें इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि, राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 2025-हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमाराहिंदी भाषा सभी समुदायों धर्मों संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करती है।हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति परंपरा में जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है।प्राचीन भारत में साहित्य कला व संस्कृति में हिंदी का अभिन्न योगदान है व भारतीय समाज की आत्मा है।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र