
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के यूजीसी–मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर द्वारा आयोजित 11वें ऑनलाइन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: ओरिएंटेशन एवं सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम के आठवें दिन दो सत्रों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. वरुण कुमार मिश्रा, अंग्रेजी विभाग, राजधानी कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय और प्रो. राजेश कुमार गर्ग, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद रहे।
प्रथम सत्र में प्रो. वरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में त्रिभाषा फार्मूला लागू किया गया है, जिसके अनुसार छात्रों को तीन भाषाओं का अध्ययन करना अनिवार्य होगा, जिनमें कम से कम दो भारतीय भाषाएं शामिल हों। उन्होंने कहा कि भाषा ध्वनियों की प्रणाली है, इसलिए भारतीय भाषाओं की शिक्षा प्राथमिक स्तर से ही देना उपयुक्त होगा। यह नीति बहुभाषावाद को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। उन्होंने कुछ राज्यों, विशेषकर तमिलनाडु, में त्रिभाषा फार्मूले को हिन्दी थोपने का प्रयास मानने की धारणा पर भी चर्चा की।
दूसरे सत्र में प्रो. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि संस्कार जीवन में चरित्र निर्माण का आवश्यक घटक हैं, जो व्यक्ति को संतुलित और अर्थपूर्ण जीवन जीने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालयों का उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं होना चाहिए, बल्कि चरित्र निर्माण भी शिक्षा के प्राथमिक उद्देश्यों में शामिल होना चाहिए। उन्होंने नई शिक्षा नीति को भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए ‘सुगंध समीर’ बताया, जो प्राचीन ज्ञान परंपरा के साथ सामंजस्य स्थापित कर लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करेगी।
कार्यक्रम संयोजक प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने शिक्षकों की समाज और राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए पूरी तरह आत्मसात करना होगा। कार्यक्रम सह-संयोजक डॉ. मनीष पांडेय ने इसे विकसित भारत का विज़न डॉक्यूमेंट बताया। कार्यक्रम में 60 से अधिक शिक्षक और शोधार्थी शामिल हुए।
इस कार्यक्रम की नौ दिवसीय कार्यशाला 10 सितंबर को समापन करेगी। समापन सत्र की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन करेंगी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. बिजेंद्र सिंह, कुलपति, डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या होंगे, जबकि वैलेडिक्टरी एड्रेस प्रो. संजीव कुमार, कुलपति, महाराजा सुहेलदेव राज्य विश्वविद्यालय, आजमगढ़ देंगे।