भागलपुर/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा )
तहसील बरहज के ग्राम नरसिंहडाड़ स्थित गाटा संख्या 135ख और 135ग, जो राजस्व अभिलेखों में “जलमग्न भूमि (तालाब की जमीन)” के रूप में दर्ज है, वहां से अवैध मिट्टी खनन के मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया है।

ग्रामवासी अनुराग कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि तालाब की भूमि से नियमों के विरुद्ध खनन हो रहा है, जिससे पर्यावरण और ग्रामीणों के हितों को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अदालत में प्रस्तुत रिपोर्ट खनन निरीक्षक के हस्ताक्षर से जारी की गई थी, जबकि वही अधिकारी याचिका में प्रतिवादी हैं। अदालत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उस रिपोर्ट को अविश्वसनीय मानकर खारिज कर दिया।
याचिका में यह भी कहा गया कि ग्रामीणों द्वारा बार-बार ग्राम प्रधान के खिलाफ शिकायतें की गईं, लेकिन खनन निरीक्षक ने उसी प्रधान से रिपोर्ट मंगाई, जो तथ्यहीन और मनमानी होती थी। ग्रामीणों की आवाज़ को लगातार अनसुना करने के कारण अंततः याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।
मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि प्रतिवादी अधिकारी की रिपोर्ट स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने कहा कि जिलाधिकारी, देवरिया को इस मामले की स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रमाणिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
अब मामले की अगली सुनवाई 8 अक्टूबर 2025 को होगी।
यह मामला न केवल पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि इससे गांव के तालाब और जलस्रोत सुरक्षित रहेंगे।