Friday, October 17, 2025
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मोदी ने ट्रंप के दबाव में रोकी थी कार्रवाई, अमेरिका ने दी थी ‘ट्रेड वार्निंग’-राहुल गांधी

मुजफ्फरपुर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) बिहार कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों के खिलाफ भारत की कार्रवाई रोक दी थी। राहुल गांधी ने यह बयान बुधवार को बिहार के मुजफ्फरपुर में चल रही अपनी ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के दौरान आयोजित एक जनसभा में दिया।

राहुल गांधी का यह आरोप ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर यह दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई में हुए सैन्य तनाव को खत्म कराने में उनकी सीधी भूमिका रही। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत कर भारत को कार्रवाई से पीछे हटने के लिए मनाया और पाकिस्तान को भी सख्त चेतावनी दी।

ट्रंप का दावा: ‘मोदी को कहा- व्यापार समझौता नहीं होगा’

व्हाइट हाउस में कैबिनेट बैठक के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,“मैंने पीएम मोदी से कहा कि मैं एक शानदार इंसान से बात कर रहा हूं। इसके बाद मैंने पाकिस्तान से भी बातचीत की और उन्हें स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर तनाव जारी रहा तो अमेरिका किसी भी तरह का व्यापार समझौता नहीं करेगा। बल्कि इतना ऊंचा टैरिफ लगाया जाएगा कि उनका सिर घूम जाएगा।”

ट्रंप ने यहां तक दावा किया कि उनके हस्तक्षेप से ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौता संभव हो पाया और संभावित परमाणु टकराव टल गया।

राहुल गांधी का पलटवार राहुल गांधी ने ट्रंप के इसी बयान का हवाला देते हुए कहा कि मोदी सरकार ने देश की सुरक्षा और सेना के मनोबल के साथ समझौता किया।

“प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति के आदेश पर पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों पर हमारी कार्रवाई रोक दी। यह देश की सुरक्षा से खिलवाड़ और शहीदों का अपमान है,” राहुल गांधी ने कहा।

राजनीतिक हलचल तेज राहुल गांधी के इस बयान से चुनावी राज्य बिहार में राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है। कांग्रेस नेता लगातार मोदी सरकार पर विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। वहीं, डोनाल्ड ट्रंप के दावे ने भी भारत में एक नई बहस को जन्म दे दिया है कि क्या अमेरिका ने वास्तव में भारत की सैन्य रणनीति में हस्तक्षेप किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में चुनावी बहस का अहम हिस्सा बन सकता है, क्योंकि इसमें राष्ट्रवाद, विदेश नीति और प्रधानमंत्री की छवि तीनों जुड़े हुए हैं।

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