जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का ऐलान - राष्ट्र की परम्परा
August 17, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का ऐलान

गांधी-आंबेडकर की विचारधारा पर बनेगा हिंदू-मुस्लिम गठबंधन, भाजपा को हराने का लिया संकल्प

पटना(राष्ट्र की परम्परा)लाल जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा राजनीतिक ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी महात्मा गांधी और बाबासाहेब आंबेडकर की विचारधाराओं में विश्वास रखने वाले हिंदुओं तथा मुस्लिम समुदाय के बीच एक मजबूत गठबंधन बनाने की दिशा में काम कर रही है। इस गठबंधन के जरिये भाजपा को चुनावी मैदान में हराने का संकल्प लिया गया है।शनिवार को मुस्लिम समुदाय से जुड़े जन सुराज पार्टी के नेताओं के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए किशोर ने कहा, “सभी हिंदू भाजपा के साथ नहीं हैं। यह कहना भी गलत होगा कि अधिकांश हिंदू भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। हम एक विचारधारा-आधारित गठबंधन बनाना चाहते हैं, जो गांधी और आंबेडकर के सिद्धांतों पर टिका हो। अगर ऐसा समीकरण खड़ा होता है, तो भाजपा को आसानी से पराजित किया जा सकता है।”उन्होंने आगे कहा कि बिहार की राजनीति जाति और धर्म की खींचतान में उलझकर विकास के असली मुद्दों से भटक गई है। “जन सुराज का मकसद लोगों को वैचारिक रूप से जोड़ना है, न कि केवल जातीय समीकरणों पर राजनीति करना।”गौरतलब है कि प्रशांत किशोर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 लोकसभा चुनाव अभियान के प्रबंधन से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए थे। इसके बाद उन्होंने देशभर की कई पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति तैयार की। अब अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी जन सुराज के माध्यम से वे सीधे राजनीति में उतर चुके हैं।हाल ही में किशोर ने यह घोषणा की थी कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और इनमें से 40 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट दिया जाएगा। इस ऐलान से महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वाम दल) में नाराजगी देखी जा रही है, क्योंकि ये दल लंबे समय से अल्पसंख्यक वोटों पर पारंपरिक रूप से निर्भर रहे हैं।
प्रशांत किशोर का यह नया फार्मूला आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को नया आयाम दे सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर जन सुराज पार्टी हिंदू-मुस्लिम गठजोड़ की इस रणनीति को जमीनी स्तर पर मजबूत करने में सफल होती है, तो यह न सिर्फ भाजपा बल्कि महागठबंधन के लिए भी चुनौती बन सकती है।