ऑपरेशन सिंदूर, अनुच्छेद 370, सिंधु जल समझौता और संविधान निर्माताओं को नमन

नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) देश ने शुक्रवार को 79वां स्वतंत्रता दिवस पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया। दिल्ली के प्रतिष्ठित लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 12वीं बार तिरंगा फहराया और राष्ट्रगान के साथ समारोह की शुरुआत की। इस मौके पर विशिष्ट अतिथियों, शीर्ष सरकारी व रक्षा अधिकारियों, खिलाड़ियों, पंचायत प्रतिनिधियों, ‘ड्रोन दीदी’ व ‘लखपति दीदी’ के प्रतिनिधियों सहित हज़ारों लोग मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने इसे “लघु भारत” का दृश्य बताया और कहा कि तकनीक के माध्यम से यह आयोजन पूरे देश से जुड़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि 1947 में आज़ादी मिलने के साथ अपार संभावनाएं थीं, लेकिन चुनौतियां भी बड़ी थीं। उन्होंने संविधान निर्माताओं, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने विशेष रूप से डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 125वीं जयंती पर उन्हें याद किया और कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर ‘एक देश, एक संविधान’ के मंत्र को साकार कर मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी गई।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का यह पर्व 140 करोड़ संकल्पों, गौरव और उमंग का पर्व है। देश एकता की भावना को निरंतर मजबूत कर रहा है और तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है।” उन्होंने बहादुर सैनिकों को सलाम करते हुए कहा कि उन्होंने आतंक के आकाओं को उनकी कल्पना से परे सजा दी है। पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बताया कि “ऑपरेशन सिंदूर” देश में पैदा हुए आक्रोश की अभिव्यक्ति है और इससे पाकिस्तान में ऐसी तबाही हुई है कि उसकी नींद उड़ी हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब भारत ‘न्यूक्लियर ब्लैकमैल’ नहीं सहेगा।

प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रकृति भी हम सबकी परीक्षा ले रही है। उन्होंने सिंधु जल समझौते को “अन्यायपूर्ण और एकतरफा” करार देते हुए कहा, “भारत का पानी भारत के लिए होगा, सिर्फ भारत के किसानों के लिए होगा। खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” उन्होंने कहा कि इस समझौते से दशकों तक हमारे किसानों को अकल्पनीय नुकसान उठाना पड़ा है, जबकि हमारे दुश्मनों के खेत सिंधु के पानी से सिंचित होते रहे हैं।

समारोह में देश की विविधता और तकनीकी प्रगति का भी प्रदर्शन हुआ। प्रधानमंत्री ने इसे सामूहिक सिद्धि और भविष्य के लिए प्रेरणा का क्षण बताया।