“राखी के धागे ने बचाई जान: भाई ने दी बहन को नई जिंदगी” - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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“राखी के धागे ने बचाई जान: भाई ने दी बहन को नई जिंदगी”

खगड़िया(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) रक्षाबंधन के धागे में बंधा भाई-बहन का रिश्ता सिर्फ प्यार और वादों तक सीमित नहीं होता, कभी-कभी यह जिंदगी बचाने का साहस भी बन जाता है। खगड़िया जिले के कन्हैयाचक गांव के राजेश कुमार उर्फ गनी ने इस रिश्ते की मिसाल पेश की, जब उन्होंने अपनी बहन की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान कर दी।

कन्हैयाचक निवासी खुशबू कुमारी की शादी 15 साल पहले बेगूसराय में हुई थी। तीन बच्चों की मां खुशबू को वर्ष 2017 में अचानक पेट दर्द और पाचन संबंधी समस्या होने लगी। दिल्ली एम्स में जांच के बाद पता चला कि उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और एक महीने के भीतर ट्रांसप्लांट जरूरी है।

ससुराल पक्ष से किडनी देने से इनकार हो गया। मायके में पांच भाइयों में सबसे छोटी बहन खुशबू की जिंदगी बचाने के सवाल पर घर में चिंता और डर का माहौल था। इसी बीच, छोटे भाई राजेश कुमार ने बिना किसी हिचकिचाहट के किडनी देने का निर्णय लिया।

राजेश कहते हैं—“बचपन से बहन राखी बांधती आई है। अगर वह नहीं रहेगी तो मुझे राखी कौन बांधेगा? यही समय था कि मैं राखी का हक अदा करूं।” सफल ऑपरेशन के बाद खुशबू की जिंदगी बच गई। अब वह धनबाद में रहती हैं और हर साल राखी के त्योहार पर भाई को राखी भेजती हैं।

एक किडनी के साथ पूरी तरह स्वस्थ राजेश खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने बहन के जीवन को नया उजाला दिया। उनका यह बलिदान भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और त्याग का जीवंत उदाहरण है।