
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग द्वारा संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत ‘वेदान्त’ विषय पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय की संरक्षिका प्रो. पूनम टंडन, विभागाध्यक्ष प्रो. राजवन्त राव एवं समन्वयक डॉ. देवेंद्र पाल के निर्देशन में आयोजित इस व्याख्यान में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विद्वान आचार्य प्रो. धनञ्जय पाण्डेय ने मुख्य वक्ता के रूप में विचार प्रस्तुत किए।
प्रो. पाण्डेय ने वेदान्त तथा उपनिषदों के संदर्भ में कहा कि “अविद्या का नाश कर ज्ञान की प्राप्ति द्वारा ब्रह्म की प्राप्ति ही वेदान्त का मूल उद्देश्य है। स्वयं को जानना ही ब्रह्म को जानना है।” उन्होंने कहा कि धर्म, कर्म, उपासना, भक्ति, प्रेम, ज्ञान और मोक्ष, सभी का मूल आधार वेदान्त है। वेदान्त हमें यही सिखाता है कि गुरु द्वारा बताए गए सत्य मार्ग को केवल विचार तक सीमित न रखते हुए अपने आचरण में उतारें और अनुभव करें।
कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा कंचनलता ने किया। स्वागत एवं वक्ता परिचय डॉ. कुलदीपक शुक्ल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. धर्मेन्द्र सिंह ने किया। समापन अवसर पर संयोजिका डॉ. रंजनलता ने समन्वित रूप से सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया।
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