
झांसी (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित ओरछा (Orchha) एक ऐसा ऐतिहासिक नगर है, जो सैकड़ों वर्षों बाद भी अपनी भव्यता, संस्कृति और धार्मिक आस्था को सहेजे हुए है। बेतवा नदी के किनारे बसा यह नगर स्थापत्य कला, इतिहास और आध्यात्मिक वातावरण का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है।
स्थापना और ऐतिहासिक महत्व
ओरछा की स्थापना 16वीं शताब्दी में बुंदेला शासक रुद्र प्रताप सिंह ने की थी। यह नगर उस समय बुंदेला साम्राज्य की राजधानी रहा। यहां बने महल, किले और मंदिर अपनी वास्तुकला, भव्यता और कलात्मकता के लिए प्रसिद्ध हैं।
मुख्य दर्शनीय स्थल
राजमहल – भित्तिचित्रों और राजसी स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध।जहांगीर महल – मुगल-बुंदेला शैली का अद्भुत उदाहरण, जिसे मुगल सम्राट जहांगीर के स्वागत के लिए बनवाया गया था।
राम राजा मंदिर – यहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजने की अनोखी परंपरा है।
चतुर्भुज मंदिर – ऊँची मीनारों और भव्य स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध।
छतरियां (Cenotaphs) – बेतवा नदी के किनारे स्थित, बुंदेला राजाओं की स्मृति में निर्मित।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
ओरछा केवल ऐतिहासिक धरोहर ही नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का भी प्रमुख केंद्र है। यहां प्रतिदिन दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान राम और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन के लिए आते हैं। राम राजा मंदिर में पुलिस गार्ड द्वारा राजा के रूप में भगवान राम को सलामी देने की परंपरा आज भी जारी है।
पर्यटन और अनुभव
ओरछा की गलियों में घूमना, बेतवा नदी के तट पर सूर्यास्त देखना और प्राचीन मंदिरों की घंटियों की ध्वनि सुनना एक आध्यात्मिक व ऐतिहासिक यात्रा जैसा अनुभव कराता है। यहां का शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को बार-बार आने के लिए प्रेरित करती है।
कैसे पहुंचे ओरछा, झांसी (उत्तर प्रदेश) से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन झांसी जंक्शन है, जबकि सड़क मार्ग से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।