
पटना।(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) निर्वाचन आयोग ने बुधवार को एक अहम जानकारी साझा करते हुए बताया कि बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान के तहत लगभग एक लाख मतदाताओं का कोई पता नहीं चल पाया है। वहीं, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यभर में 7.17 करोड़ मतदाताओं के गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं, जिन्हें पूरी तरह से डिजिटल रूप से दर्ज किया जा चुका है।
इस पुनरीक्षण अभियान का उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन करना, मृतक या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम हटाना और नए योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करना है। आयोग के अनुसार, जिन मतदाताओं का पता नहीं चल पाया है, वे संभवतः या तो अन्य स्थानों पर स्थानांतरित हो चुके हैं या फर्जी नामों की श्रेणी में आ सकते हैं। ऐसे मामलों की जांच की प्रक्रिया जारी है।
चुनाव आयोग ने इस बार पूरे अभियान को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर संचालित करने की योजना बनाई थी ताकि पारदर्शिता और कार्यक्षमता में वृद्धि हो सके। अब तक 7.17 करोड़ मतदाताओं की प्रविष्टियां डिजिटल फॉर्मेट में रिकॉर्ड की जा चुकी हैं, जिससे आगामी चुनावों में एक सटीक और निष्पक्ष मतदाता सूची तैयार करने में मदद मिलेगी।
राज्य निर्वाचन कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारे पास जो आंकड़े आए हैं, वे दर्शाते हैं कि अधिकांश मतदाताओं ने पुनरीक्षण में भाग लिया। लेकिन लगभग एक लाख ऐसे नाम सामने आए हैं जिनका न तो वर्तमान में कोई ठिकाना मिला है और न ही उनकी मौजूदगी की पुष्टि हो सकी है। इनकी विस्तृत जांच की जा रही है।
इन गुमशुदा नामों की पहचान पूरी होने के बाद संबंधित नामों को सूची से हटाने या बनाए रखने का निर्णय लिया जाएगा। साथ ही आयोग आम जनता से भी अपील कर रहा है कि वे अपने नाम की पुष्टि सुनिश्चित करें और यदि कोई त्रुटि हो तो निर्धारित समयसीमा के भीतर सुधार करवाएं।
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