विभिन्न विभागों से कराए गए कार्यों पर नहीं लगे साइन बोर्ड वित्तीय वर्ष समाप्त, भुगतान भी हो चुका जिम्मेदार अधिकारी मौन

(मऊ से धीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट)
मऊ (राष्ट्र की परम्परा)। केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में जनपद मऊ के कोपागंज विकास खंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप सामने आ रहे हैं। ब्लॉक क्षेत्र के अधिकांश ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत कराए गए कार्यों पर आज तक अनिवार्य साइन बोर्ड नहीं लगाए गए हैं, जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि प्रत्येक कार्यस्थल पर कार्य की लागत, मानव दिवस, लम्बाई-चौड़ाई एवं कार्यदायी संस्था का विवरण दर्शाया जाना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार, जिन कार्यों पर साइन बोर्ड नहीं लगाए गए, उन कार्यों का भुगतान फिर भी कर दिया गया है। विभागीय अधिकारियों की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। आरोप है कि प्रति कार्य 4500 रुपए की दर से साइन बोर्ड का भुगतान ग्राम पंचायतों द्वारा उठा लिया गया, लेकिन जमीनी हकीकत में ऐसे बोर्ड कहीं नजर नहीं आते।
कोपागंज ब्लॉक में कुल 81 ग्राम पंचायतें और 118 क्षेत्र पंचायतें हैं। इनमें वन विभाग, पीडब्ल्यूडी, लघु सिंचाई, सिचाई विभाग समेत अन्य विभागों द्वारा मनरेगा के अंतर्गत कार्य कराए जाते हैं। लेकिन अधिकतर कार्य स्थलों पर साइन बोर्डों की अनुपस्थिति से अंदेशा है कि इस मद में करोड़ों रुपए का गबन हुआ है।
गांवों में अनभिज्ञता, कार्यों का पता नहीं
क्षेत्र के ग्रामीण गुलाब, रामू राजभर, महंगी, रामप्रसाद, वीरेंद्र, गोपाल, सुरेंद्र सिंह व विनोद का कहना है कि ग्राम पंचायतों में ऐसे कई कार्य हुए हैं, जिनकी जानकारी ग्रामीणों को भी नहीं है। इन कार्यों का कोई बोर्ड नहीं लगा, जिससे आम जनता तक सूचना पहुंच ही नहीं पाई।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि साइन बोर्ड के बिना भी कार्यों की ऑडिट की जा रही है, जबकि बोर्ड शासन की पारदर्शिता की नीति का मुख्य हिस्सा होते हैं। अब जब वित्तीय वर्ष समाप्त हो चुका है, तो इन कार्यों की जांच और लेखा परीक्षण (ऑडिट) शुरू हो चुका है। पर बिना विवरण वाले कार्यों का मूल्यांकन कितनी पारदर्शिता से हो पाएगा, यह बड़ा सवाल है।
शासन का निर्देश स्पष्ट:
मनरेगा कार्यों के आरंभ से पूर्व साइन बोर्ड लगाना अनिवार्य है। इसमें कार्य की लागत, कार्यदिवस, मानवदिवस, कार्यदायी संस्था, एवं कार्य का भौतिक विवरण लिखा होना चाहिए। लेकिन कोपागंज में अधिकतर ग्राम पंचायतों में यह नियम पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है।
ग्रामीणों की मांग है कि जिलाधिकारी स्वयं इस मामले की गंभीरता को समझते हुए एक स्वतंत्र एवं सक्षम अधिकारी से जांच कराएं। इससे न सिर्फ जिम्मेदारों की जवाबदेही तय होगी, बल्कि ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता भी आएगी।
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