बाल संसद का गठन: प्रीतम यादव बनीं प्रधानमंत्री, बच्चों ने सीखा लोकतंत्र का पहला पाठ - राष्ट्र की परम्परा
August 18, 2025

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बाल संसद का गठन: प्रीतम यादव बनीं प्रधानमंत्री, बच्चों ने सीखा लोकतंत्र का पहला पाठ


प्राथमिक विद्यालय मौहरवा, शिक्षा क्षेत्र रेहराबाजार में ऐतिहासिक पहल

सादुल्लानगर/बलरामपुर (राष्ट्र की परम्परा)।
शिक्षा क्षेत्र रेहराबाजार अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय मौहरवा में पहली बार बाल संसद का गठन कर एक अभिनव पहल की गई है। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास, लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ और विद्यालय प्रबंधन में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर कक्षा 4 और 5 के बच्चों ने प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री सहित विभिन्न मंत्रालयों के पदों हेतु नामांकन दाखिल किया। नामित छात्र-छात्राओं ने स्वच्छता, स्वास्थ्य, बागवानी, खेलकूद और शिक्षा सुधार जैसे मुद्दों को लेकर जोरदार प्रचार-प्रसार किया।

चुनावये पूरी पारदर्शिता के साथ गोपनीय मतदान के माध्यम से पदाधिकारियों का चयन किया प्रधानमंत्री : कक्षा 4 की प्रीतम यादव, जिन्हें कुल 26 मत प्राप्त हुए। उप-प्रधानमंत्री: कक्षा 5 की अंजली यादव ,शिक्षा मंत्री: अंजली यादव ,स्वास्थ्य मंत्री: पिंकेंश,उप-स्वास्थ्य मंत्री: विनोद कुमार,खेलकूद मंत्री: अरविंद यादव,खाद्य सुरक्षा मंत्री: शनि देवल

विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक कामता प्रसाद ने सभी निर्वाचित प्रतिनिधियों को माल्यार्पण कर सम्मानित किया। उन्होंने बच्चों को उनके-उनके विभागों की जिम्मेदारियों से अवगत कराते हुए ईमानदारी, निष्ठा और गोपनीयता की शपथ भी दिलाई।

हर पंद्रह दिन में होगी बैठक

निर्वाचित बाल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हर 15 दिन में एक बार कैबिनेट बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें मंत्रालयवार कार्यों की समीक्षा और योजना बनाई जाएगी। शिक्षकों की देखरेख में यह बाल मंत्रिमंडल विद्यालय में स्वच्छता, मिड-डे मील, बागवानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सक्रिय योगदान देगा।

क्या बोले शिक्षक?

प्रधानाध्यापक श्री कामता प्रसाद ने कहा, “यह पहल बच्चों को नेतृत्व, संवाद और निर्णय लेने की क्षमता से जोड़ने का बेहतरीन माध्यम है। बाल संसद भविष्य के जागरूक नागरिकों की नींव तैयार करेगी।”

विद्यालय में बाल संसद की इस स्थापना से छात्र-छात्राओं में उत्साह और जिम्मेदारी का भाव देखा गया। यह पहल न सिर्फ स्कूल के वातावरण को बेहतर बनाएगी, बल्कि बच्चों में लोकतंत्र की सही समझ भी विकसित करेगी।