

वैश्विक मंचों पर दर्ज कराई प्रभावशाली उपस्थिति, ए.डी. वैज्ञानिक सूचकांक-25 में 75 वैज्ञानिकों को मिली मान्यता
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल तथा विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन एवं प्रेरणा से विश्वविद्यालय के 75 संकाय सदस्यों को ए.डी. वैज्ञानिक सूचकांक 2025 में शामिल किया गया है।
यह अंतरराष्ट्रीय सूचकांक वैज्ञानिक उत्पादकता, शोध उद्धरण प्रभाव और एच-इंडेक्स जैसे मानकों पर आधारित होता है। इस उपलब्धि से यह स्पष्ट है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय अब केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक शोध-केंद्रित, नवाचार प्रेरित संस्था के रूप में उभर रहा है।
प्रकाशित सूची में शामिल वैज्ञानिक प्राकृतिक विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी, कृषि एवं वानिकी, चिकित्सा, भौतिकी, जीवन विज्ञान तथा पर्यावरण अध्ययन जैसे विविध क्षेत्रों से संबद्ध हैं। इनमें प्रमुख तीन वैज्ञानिक डॉ. रवि कांत उपाध्याय (प्राणिशास्त्र) एच-अंक: 29 (पिछले 6 वर्षों में 23), प्रो. राजर्षि कुमार गौड़ (जैव प्रौद्योगिकी) एच-अंक: 28 (पिछले 6 वर्षों में 19) एवं डॉ. अम्बरीश के. श्रीवास्तव (भौतिकी)— एच-अंक: 27 (पिछले 6 वर्षों में 21) से शामिल हैl
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने केवल राष्ट्रीय पटल पर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षा मंचों पर भी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई है।क्यूएस विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग – दक्षिण एशिया (2025) में शिक्षण गुणवत्ता, शोध तथा छात्र-संकाय अनुपात जैसे मानकों पर स्थान प्राप्त हुआ है। टाइम्स हायर एजुकेशन प्रभाव रैंकिंग (2024) में सतत विकास लक्ष्यों— गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, जलवायु परिवर्तन और नवाचार में योगदान के लिए विश्वविद्यालय को सराहना प्राप्त हुई है। नेचर सूचकांक (2023–24) में उच्च प्रभाव वाली विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध लेखों के लिए उल्लेखनीय रैंकिंग प्राप्त हुई है। साइमैगो संस्थागत रैंकिंग (2024) में विश्वविद्यालय ने अनुसंधान, नवाचार और सामाजिक प्रभाव के क्षेत्र में निरंतर प्रगति दर्ज की है।
प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम-उषा) के अंतर्गत विश्वविद्यालय को ₹100 करोड़ का अनुदान प्राप्त हुआ है। यह बहु-विषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (एमईआरयू) योजना का हिस्सा है। इस निधि से उन्नत अनुसंधान प्रयोगशालाएँ, डिजिटल एवं मिश्रित शिक्षण पद्धतियाँ, शिक्षक विकास कार्यक्रम, शोधवृत्तियाँ एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग, औद्योगिक सहभागिता को मजबूती प्रदान की जा रही है।
अब तक विश्वविद्यालय द्वारा 60 से अधिक पेटेंट दाखिल किए जा चुके हैं। औषधि विज्ञान, कृषि विज्ञान, सूक्ष्म प्रौद्योगिकी, पर्यावरणीय अभियांत्रिकी एवं संगणकीय विज्ञान के क्षेत्र में गहन शोध कार्य जारी हैं।
अनेक शोध परियोजनाएँ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा वित्तपोषित हैं।
इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि “यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे विश्वविद्यालय के 75 वैज्ञानिकों को ए.डी. वैज्ञानिक सूचकांक में स्थान प्राप्त हुआ है। यह हमारी शोध संस्कृति, अकादमिक गुणवत्ता और नवाचार की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का प्रत्यक्ष प्रमाण है। हम माननीय राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान के अंतर्गत दिए गए सहयोग के लिए कृतज्ञ हैं।”
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