शाहजहांपुर (राष्ट्र की परम्परा)। राजकीय बाल शिशु गृह में तैनात महिला केयर टेकर द्वारा अनाथ बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार का वीडियो सामने आने के बाद, जिला प्रशासन हरकत में आ गया है। वायरल वीडियो में केयर टेकर बच्चों पर डंडों से पिटाई करती, उन्हें थप्पड़ मारती और कान मरोड़ती दिख रही है। मासूमों की चीखें और सहमे चेहरे किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को झकझोरने के लिए काफी हैं। वीडियो के वायरल होते ही जिला प्रोबेशन अधिकारी गौरव मिश्रा और मुख्य विकास अधिकारी अपराजिता सिंह ने सख्त कार्रवाई की बात कही है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि छह माह पूर्व जब भाजपा जिला पंचायत सदस्य मुकेश दीक्षित ने सबूतों के साथ यही शिकायत की थी, तब इसे गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया?आउटसोर्स पर तैनात थी महिला केयर टेकर। अनाथ बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में योगी सरकार की योजनाएं लगातार लागू हो रही हैं, लेकिन जब देखरेख करने वाली ही दरिंदगी पर उतर आए तो सवाल व्यवस्थाओं पर उठते हैं। आरोपी महिला केयर टेकर पूनम गंगवार आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त थी। सूत्रों के अनुसार, शिकायत के बावजूद उसे मात्र वन स्टॉप सेंटर में शिफ्ट कर खानापूर्ति कर दी गई थी। जब वीडियो हुआ वायरल, तब मचाई गई हलचल। 31 दिसंबर 2024 को शिकायतकर्ता मुकेश दीक्षित ने बच्चों पर हो रहे अत्याचार की जानकारी देते हुए सबूत सौंपे थे, लेकिन उस समय जिला प्रोबेशन अधिकारी ने मामले को हल्के में लिया। अब जबकि पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, तो प्रशासन हरकत में आया है।
!सवालों के घेरे में अधिकारी!! वायरल वीडियो ने न केवल आरोपी महिला को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि जिला प्रोबेशन अधिकारी गौरव मिश्रा की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतना ही नहीं, विभाग में कार्यरत एक अन्य महिला अधिकारी की भी संलिप्तता की बात सामने आ रही है, जो अक्सर मीडिया में सक्रिय रहती हैं। कड़ी कार्रवाई की मांग स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों का कहना है कि केवल पूनम गंगवार को हटाना काफी नहीं होगा। उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए। साथ ही, जिला प्रोबेशन अधिकारी और संबंधित अन्य अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए। मासूमों के जीवन से खिलवाड़ अब और नहीं चलेगा। सरकार द्वारा संचालित इन संरक्षण गृहों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और गरिमामयी वातावरण देना है, न कि उन्हें जेल जैसी यातना भुगतने पर मजबूर करना। अब देखना यह होगा कि प्रशासन दोषियों पर क्या ठोस कदम उठाता है या यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा।
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