December 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे विकास दीपोत्सव मेलेे

बलरामपुर।(राष्ट्र की परम्परा)भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। होली, दीपावली, रक्षाबंधन, नवरात्र, ईद, गुरुपूर्णिमा एवं क्रिसमस जैसे अनेक त्योहारों का आयोजन पूरे वर्ष भर चलता रहता है। जिसमें आपसी प्रेम, भाई-चारा, सौहार्द के वातावरण में सभी इसमें आनन्द की प्राप्ति करते हैं। प्रत्येक त्योहार में एक मुख्य आकर्षण होता है त्योहारों से जुड़ी मान्यताओं, परम्पराओं के आधार पर की जाने वाली खरीददारी। प्रत्येक त्योहार पर बाजार ऐसी वस्तुओं से पट जाता है जिनका किसी न किसी प्रकार का जुड़ाव उन त्योहारों से होता है। होली में जहां पिचकारी व रंगो की धूम रहती है तो दीपावली में दिए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों, लाई, बताशा आदि से पूरा बाजार गुलजार हो जाता है। अपनी-अपनी सामर्थ्य एवं आवश्यकता के अन्तर्गत सभी लोग कुछ न कुछ खरीददारी करते हैं। इस प्रकार हर्ष एवं उल्लास का वातावरण बना रहता है।
प्रत्येक त्योहार हमें आपसी सद्भाव, प्रेम की शिक्षा देता है। साथ ही एक बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी कि हम समाज के सभी वर्गों के हित में वृद्धि के लिए ऐसे प्रयास करें कि त्योहार के साथ एक बेहद सामान्य से सामान्य व्यक्ति भी जुड़ पाए। छोटे-छोटे सामान बनाने वाले कारीगरों, हस्तशिल्पियों, मूर्तिकारों की भी दीपावली प्रकाशमय हो सके एवं स्ट्रीट वेण्डर्स, पटरी, रेहड़ी, ठेले, खोमचे पर अपनी छोटी-छोटी दुकान लगाने वाले दुकानदारों की दीपावली भी प्रकाश से गुलजार हो सके, उनके जीवन में भी मिठास आ सके, उनके उत्पादों को एक बाजार, एक मंच मिल सके, इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संवेदनशील सोच को प्रदेश केे नगर विकास विभाग द्वारा साकार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार विकास दीपोत्सव मना रही है। इसके अन्तर्गत 28 अक्टूबर, 2021 से 4 नवम्बर, 2021 तक प्रदेश के समस्त नगर निगमों एवं नगरपालिकाओं में ’’भव्य दीपावली मेला’’ का आयोजन किया जा रहा है। इन मेलों के अन्तर्गत पटरी, रेहड़ी, विक्रेताओं को उनकी सामग्रियों एवं उत्पादों को बिक्री के लिए एक मंच प्रदेश सरकार की ओर से प्रदान किया जा रहा है। दीपावली मेले के अन्तर्गत स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों, हस्तशिल्प, दीयों, मूर्तियों एवं सजावटी उत्पादों की बिक्री उन्ही के द्वारा की जा रही है। ऐसे ही मेले का लखनऊ में गोमतीनदी के तट पर स्थित झूलेलाल पार्क में 28 अक्टूबर, 2021 को मुख्यमंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया है। इसमें मुख्यमंत्री ने स्ट्रीट वेण्डर्स, स्वनिधि मित्रों एवं स्वच्छकारों को सम्मानित भी किया है। 28 अक्टूबर 2021 को ही प्रदेश के सभी नगर निगमों, 200 नगर पालिका परिषदों में भी विकास दीपोत्सव-2021 के अंतर्गत नगर विकास विभाग द्वारा प्रदर्शनी लगायी गयी है।
ऐसे मेलों के आयोजन से स्थानीय कारीगरों, हस्तशिल्पियों, स्ट्रीट वेण्डर्स को अपने उत्पादों को एक ही स्थान पर बिक्री करने का एक मंच मिल रहा है। जनसामान्य की अधिक से अधिक भागीदारी से मेलों की सार्थकता सिद्ध हो रही है। कोरोना काल में सर्वाधिक नुकसान छोटे-छोटे दुकानदारों, रेहड़ी, खोमचे वालों तथा स्थानीय कारीगारों को हुआ। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी ने ’’वोकल फॉर लोकल’’ और ’’आत्मनिर्भर भारत’’ का मंत्र दिया, जिन्हें प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ऐसे मेलों से बल मिल रहा है। दीपावली मेलों में उत्पादों की बिक्री के अलावा प्रदेश सरकार की प्रगति एवं उपलब्धियों पर आधारित प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है। प्रतियोगी छात्र एवं सामान्य जन इनसे प्रदेश की विकास यात्रा से परिचित हो अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।
मेले में दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। मेले में प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में पंजीकरण के लिए डेस्क भी है। जिसके माध्यम से दुकानदार अपना पंजीयन कराकर इस योजना का लाभ ले सकते हैं। दीपावली मेले के अंतर्गत प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी एवं स्थानीयता को प्रोत्साहन देने वाली ’’एक जनपद-एक उत्पाद’’ (ओ0डी0ओ0पी0) के स्टाल भी लगाए जा रहे हैं। इससे जनसामान्य को भी इस योजना की जानकारी हो रही है साथ ही इन उत्पादों की बिक्री भी बढ़ रही है। कोविड-19 के दृष्टिगत मेले में कोविड टीकाकरण डेस्क भी स्थापित किया जा रहा है जहाँ कोविड वैक्सीन लगवाने के योग्य एवं इच्छुक व्यक्ति वैक्सीन लगवा सकते हैं। मेला फूड कोर्ट व फन जोन के बिना अधूरा लगता है। अतः ऐसे आयोजन में इनके स्टॉल भी लगाए गए हैं। मेले में आने वाले लोग अपने साथ स्थायी याद के रूप में फोटो खींच सके, इसके लिए सभी स्थानों पर सेल्फी-प्वाइंट भी बनाए गए हैं।
इसी प्रकार प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 27 अक्टूबर 2021 को संगीत नाटक अकादमी के प्रांगण में माटी कला बोर्ड द्वारा 10 दिवसीय माटीकला मेले एवं सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रदेश के अनेक जनपदों से कुम्हारी कला से जुडे़ शिल्पकार, अपने-अपने उत्पादों के साथ प्रतिभाग कर रहे हैं। इनमें गोरखपुर के टेराकोटा के शिल्पकार हरिओम आजाद, हुसैनाबाद, आजमगढ़ के श्री धरेउ प्रजापति, गोण्डा के श्री हरिराम जैसे अनेक माटीकला के शिल्पी व कारीगर अपनी कला के साथ उपस्थित हैं। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में गठित उ0प्र0 माटीकला बोर्ड, माटी के बने हुए उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए इस क्षेत्र से जुड़े कारीगरों को प्रशिक्षण, बाजार, आधारभूत सामग्री, बिजली के चाक, डाई आदि उपलब्ध कराकर उन्हें अपने उत्पादों में एकरूपता तथा परिशुद्धता एवं सुन्दरता लाने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित कर रहा है।
परम्परागत रूप से एवं प्राचीन काल से माटी से बने उत्पादों की आवश्यकता रही। हड़प्पा सभ्यता की खुदाई से मिले मृदभाण्डों, औजारों, मृण्मूर्तियों से ही हम उस सभ्यता के विकास व उन्नति से परिचित होते हैं। उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा माटीकला को संरक्षण दिया जाना, इस कला को पुनर्जीवन प्रदान करने जैसा है। साथ ही मिट्टी के सम्मान, मिट्टी से जुड़े कारीगरों की समृद्धि को भी बढ़ाने में यह सहायक है। माटीकला मेले में देश की मिट्टी से बनी श्री लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ, मिट्टी के डिजाइनर दिये, गोरखपुर के टेराकोटा, आजमगढ़ की ब्लैकपॉटरी, खुर्जा के चीनी मिट्टी के बर्तन, कड़ाही, तवा, बोतल, जादुई दिये, वैज्ञानिक दिये, पक्षियों को पानी पिलाने वाले बर्तन, पक्षियों के लिए मिट्टी से बने घोसले, हाथी, घोड़े, मछली और कछुए की आकृति की गुल्लकें समेत अनेक प्रकार की मिट्टी से बनी वस्तुएं है। जब प्रदेश का कारीगर, शिल्पकार समृद्ध होगा तो प्रदेश में खुशहाली अवश्य आएगी। प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह जी ने माटी कला प्रदर्शनी/मेले में माटीकला बोर्ड की वेबसाइट का भी लोकार्पण किया। जिससे एक ही स्थान पर तकनीकी के माध्यम से इस क्षेत्र से संबंधित योजनाओं की जानकारी की जा सकती है।
दीपावली का उत्सव प्रकाश, प्रेम, पवित्रता, हर्ष, उल्लास का उत्सव है। यह उत्सव सभी लोग मनाए एवं इसमें सभी भागीदारी कर सकें, इसके लिए आवश्यक है कि इस उत्सव में सबको सहभागी बनने का अवसर मिल सके। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिए गए मंत्र ’’आत्मनिर्भर भारत’’ तथा स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने और उन उत्पादों को बनाने वाले कारीगरों, शिल्पियों को प्रोत्साहन देने तथा देश प्रेम की भावना के विकास के लिए दिए गए मंत्र ’’वोकल फॉर लोकल’’ को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ’’विकास दीपोत्सव’’ के माध्यम से नई उड़ान मिल रही है एवं हमारे परम्परागत हस्तशिल्प एवं कुटीर उद्योग को नई पहचान मिल रही है। दीपावली प्रकाश का पर्व है एवं सभी के जीवन में खुशहाली लाने का त्योहार है। ’’विकास दीपोत्सव’’ के अन्तर्गत मनाए जा रहे ’’भव्य दीपावली मेला’’ एवं माटीकला बोर्ड द्वारा लगाए गए माटीकला मेला एवं सेमिनार के आयोजन से प्रदेश के हस्तशिल्प, कारीगरों के हुनर, नए-नए उत्पाद और मिट्टी की गरिमा से एक तरफ प्रदेश वासी परिचित हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यह उन कारीगरों की मेहनत को एक मंच दिलाकर, उनके उत्पादों को एक अच्छा बाजार दिलाकर, उनके उत्पादों को राष्ट्रीय, राज्यीय एवं वैश्विक पहचान दिलाकर उनकी आय वृद्धि का माध्यम भी बन रहे है। उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्वकर्ता मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशन में नगर विकास विभाग द्वारा प्रदेश के समस्त नगर निगमों एवं नगर पालिकाओं में आयोजित किये जाने वाले ’’माटीकला मेला देश के शिल्पियों, कलाकारों एवं माटी के रचनाकारों को नई पहचान दिलाकर उनके जीवन में आनन्द का प्रकाश फैलाने में सहायक हो रहे हैं।