
चंडीगढ़/लुधियाना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। पंजाब इन दिनों चार दशकों की सबसे भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। प्रदेश में लगातार हो रही भारी बारिश के बाद भाखड़ा समेत विभिन्न बांधों से नियंत्रित मात्रा में पानी छोड़े जाने के बावजूद हालात बेकाबू हो गए हैं। नदियों और नालों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिससे कई जिलों में हालात गंभीर बने हुए हैं।
आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक अब तक बाढ़ से कम से कम 30 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि पाँच लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। करीब 1,400 गाँव पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं और हजारों हेक्टेयर फसलें पानी में डूब गई हैं।
राज्य के कुल 23 जिलों में बाढ़ का असर देखने को मिल रहा है। इनमें से 12 ज़िले सबसे ज्यादा प्रभावित बताए जा रहे हैं। पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर और फिरोज़पुर जिलों की स्थिति बेहद गंभीर है। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं, लेकिन लगातार बारिश और तेज़ बहाव के चलते प्रशासन को भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने के लिए सेना, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगातार प्रयासरत हैं। कई गाँवों से लोगों को नावों और अस्थायी नौकाओं के सहारे बाहर निकाला जा रहा है। वहीं, बड़ी संख्या में लोग स्कूलों और सामुदायिक भवनों में बनाए गए राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार की बाढ़ ने पिछले 40 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बाढ़ ने जहां हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था और कृषि को भी भारी नुकसान पहुँचा है।