Wednesday, October 29, 2025
HomeUncategorizedअमर दीपकों की स्मृति, जिन्होंने अपने कर्म से भारत का नाम रोशन...

अमर दीपकों की स्मृति, जिन्होंने अपने कर्म से भारत का नाम रोशन किया

29 अक्टूबर का इतिहास के उनके याद में


भारत का इतिहास उन महान विभूतियों से भरा है जिन्होंने अपने जीवनकाल में समाज, संस्कृति, राजनीति और कला को नई दिशा दी। 29 अक्टूबर का दिन ऐसे ही कई प्रेरणास्रोत व्यक्तित्वों के निधन की तिथि के रूप में स्मरण किया जाता है, जिन्होंने अपने योगदान से देश की अमिट पहचान बनाई। आइए जानते हैं उन महान आत्माओं के जीवन, योगदान और संघर्ष के प्रेरक प्रसंग।

ये भी पढ़ें – जानिए आपका भाग्यांक क्या कहता है

श्यामा चरण पति – छऊ नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचाने llवाले कला साधक
श्यामा चरण पति का जन्म झारखंड के सुदूर क्षेत्र में हुआ था, जहाँ छऊ नृत्य की परंपरा लोक संस्कृति का हिस्सा है। उन्होंने छोटी उम्र से ही नृत्य की शिक्षा ली और बाद में इस पारंपरिक नृत्य शैली को न केवल भारतीय मंचों पर बल्कि विश्व के विभिन्न देशों तक पहुँचाया। उन्होंने छऊ नृत्य को आधुनिक अभिव्यक्ति और नाट्य रूपांतरण से जोड़ा। इसके माध्यम से झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान मिली। 2020 में उनका निधन हुआ, लेकिन उनकी कला आज भी छऊ नर्तकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
केशुभाई पटेल – जनसेवा और स्वच्छ राजनीति के प्रतीक नेता
गुजरात के विसनगर (जिला महेसाणा) में 24 जुलाई 1928 को जन्मे केशुभाई पटेल भारतीय राजनीति के एक ईमानदार और समर्पित चेहरा थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित होकर जनसंघ के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। गुजरात के दसवें मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने ग्रामीण विकास, जल प्रबंधन और औद्योगिक प्रगति के कई उल्लेखनीय कार्य किए। उनकी प्रशासनिक नीति “सुशासन और स्वच्छता” पर आधारित थी। 29 अक्टूबर 2020 को उनका निधन हुआ, परंतु वे आज भी गुजरात की राजनीति में आदर्श नेतृत्व के प्रतीक के रूप में याद किए जाते हैं।

ये भी पढ़ें – 🧠 “स्ट्रोक पर काबू: जागरूकता और होम्योपैथी से जीवन की नई उम्मीद”

सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी – स्वतंत्र भारत की प्रथम लोकसभा के जननायक
सैयद मोहम्मद अहमद काज़मी का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे एक शिक्षित और समाजसेवी व्यक्ति थे जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूत करने में योगदान दिया। 1952 में वे पहली लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। उन्होंने संसद में किसानों, मजदूरों और शिक्षा के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया। उनका राजनीतिक दृष्टिकोण सदैव जनकल्याण पर आधारित रहा। 1959 में उनका निधन हुआ, पर उनकी विचारधारा आज भी भारतीय लोकतंत्र की नींव में गूंजती है।

ये भी पढ़ें – जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय

कमलादेवी चट्टोपाध्याय – भारतीय हस्तकला की पुनर्जागरणकर्ता और समाज सुधारक
कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म 3 अप्रैल 1903 को मैंगलोर, कर्नाटक में हुआ था। वे न केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं बल्कि भारतीय हस्तकला और हथकरघा उद्योग के पुनर्जागरण की सबसे प्रमुख आवाज़ बनीं। उन्होंने ऑल इंडिया हैंडीक्राफ्ट्स बोर्ड की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कला को वैश्विक मंचों तक पहुँचाया। वे गांधीवादी विचारधारा की प्रबल समर्थक थीं और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी निरंतर प्रयासरत रहीं। 29 अक्टूबर 1988 को उनका निधन हुआ, लेकिन वे आज भी भारत की सांस्कृतिक चेतना की प्रतीक हैं।

ये भी पढ़ें – जानिए आपका भाग्यांक क्या कहता है

वी. आर. खानोलकर – भारतीय चिकित्सा विज्ञान के अग्रदूत रोग विज्ञानी
डॉ. वी. आर. खानोलकर का जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। वे भारत में पैथोलॉजी (रोग विज्ञान) के क्षेत्र में अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक थे। उन्होंने भारतीय कैंसर अनुसंधान केंद्र की स्थापना की और देश में चिकित्सा अनुसंधान की नई दिशा तय की। उनका शोध कार्य कैंसर, रक्त संबंधी बीमारियों और संक्रमण रोगों की पहचान में अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ। वे चिकित्सा शिक्षा में भारतीय संदर्भों को शामिल करने के पक्षधर थे। 29 अक्टूबर 1978 को उनका निधन हुआ, परंतु उनके वैज्ञानिक योगदान आज भी चिकित्सा जगत में मार्गदर्शक है।
29 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास में उन विभूतियों की स्मृति को संजोए रखता है जिन्होंने समाज, संस्कृति, विज्ञान और राजनीति के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किए। इन महान आत्माओं ने दिखाया कि कर्म और समर्पण ही वह दीप हैं जो समय के अंधकार में भी राष्ट्र को आलोकित करते हैं।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments